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बुधवार, 29 अक्तूबर 2014

navgeet:

नवगीत:

आओ रे!
मतदान करो

भारत भाग्य विधाता हो
तुम शासन-निर्माता हो
संसद-सांसद-त्राता हो

हमें चुनो
फिर जियो-मरो
कैसे भी
मतदान करो

तूफां-बाढ़-अकाल सहो
सीने पर गोलियाँ गहो 
भूकंपों में घिरो-ढहो

मेलों में
दे जान तरो
लेकिन तुम
मतदान करो

लालटेन, हाथी, पंजा
साड़ी, दाढ़ी या गंजा
कान, भेंगा या कंजा

नेता करनी
आप भरो
लुटो-पिटो
मतदान करो

पाँच साल क्यों देखो राह
जब चाहो हो जाओ तबाह
बर्बादी को मिले पनाह

दल-दलदल में
फँसो-घिरो
रुपये लो
मतदान करो

नाग, साँप, बिच्छू कर जोड़
गुंडे-ठग आये घर छोड़
केर-बेर में है गठजोड़

मत सुधार की
आस धरो
टैक्स भरो
मतदान करो 

***
(कश्मीर तथा अन्य राज्यों में चुनाव की खबर पर )






6 टिप्‍पणियां:

kalpana ramani ने कहा…

कल्पना रामानी

वाह! बहुत खूब

shashi purwar ने कहा…

Shashi Purwar

बहुत खूब वाह

sanjiv ने कहा…


Sanjiv Verma 'salil'

kalpana ji, shashi ji abhar.

klpana mishra bajpai ने कहा…


Kalpna Mishra Bajpai

मतदान का महत्व बड़ी निपुढ़ता से किया है

krishna nandan maurya ने कहा…

कृष्ण नन्दन मौर्य

सुन्दर गीत.

sanjiv ने कहा…

Sanjiv Verma 'salil'

kalpana ji, krishna nandan ji abhar.