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गुरुवार, 30 अक्तूबर 2014

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नवगीत:

राष्ट्रलक्ष्मी!
श्रम सीकर है
तुम्हें समर्पित

खेत, फसल, खलिहान
प्रणत है
अभियन्ता, तकनीक
विनत है

बाँध-कारखाने
नव तीरथ
हुए समर्पित 

कण-कण, तृण-तृण
बिंदु-सिंधु भी
भू नभ सलिला
दिशा, इंदु भी

सुख-समृद्धि हित
कर-पग, मन-तन
समय समर्पित

पंछी कलरव
सुबह दुपहरी
संध्या रजनी
कोशिश ठहरी

आसें-श्वासें
झूमें-खांसें
अभय समर्पित

शैशव-बचपन
यौवन सपने
महल-झोपड़ी
मानक नापने
 
सूरज-चंदा
पटका-बेंदा
मिलन समर्पित

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

Thanks for sharing the nice cotation with us and other user.
Meditation in India