मुक्तक
*
आए थे हम अकेले और अकेले जाएँगे।
बीच राह में यारियाँ कर कुछ उन्हें निभाएँगे।।
वादे-कसमें, प्यार-वफ़ा, नातों का क्या बन-टूटें
गले लगाया है कुछ ने, कुछ को गले लगाएँगे।।
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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