कुल पेज दृश्य

शनिवार, 14 अप्रैल 2018

गीत

एक रचना:
तुमने स्वर दे दिया 
*
१. 
तुमने स्वर दे दिया 
बोले, अब न सुनेंगे सच ये 
चीखें, रोएँ, सिसकी भर ये, 
वे गुर्राते हैं दहाड़कर। 
चिंघाड़े कोई इस बाजू 
फुफकारे कोई गुहारकर। 
हाय रे! अमन-चैन ले लिया 
तुमने स्वर दे दिया 
*
२. 
तुमने स्वर दे दिया 
यह नेता बेहद धाँसू है 
ठठा रहा देकर आँसू है 
हँसता पीड़ित को लताड़कर। 
तृप्त न होता फिर भी दानव 
चाकर पुलिस लुकाती है शव 
जाँच रपट देती सुधारकर।
न योगी को हो दर्द मिया 
तुमने स्वर दे दिया 
*
३. 
तुमने स्वर दे दिया 
वादा कह जुमला बतलाया 
हो विपक्ष यह तनिक न भाया 
रख देंगे सबको उजाड़कर।
सरहद पर सर हद से ज्यादा 
कटें, न नेता-अफसर-सुत हैं 
हम बैठे हैं चुप निहारकर।
छप्पन इंची छाती है, न हिया 
तुमने स्वर दे दिया 
*
४. 
तुमने स्वर दे दिया 
खाला का घर है, घुस आओ 
खूब पलीता यहाँ लगाओ 
जनता को कूटो उभाड़कर।
अरबों-खरबों के घपले कर 
मौज करो जाकर विदेश में 
लड़ चुनाव लें, सच बिसारकर।
तीन-पाँच दो दूनी सदा किया 
तुमने स्वर दे दिया 
*
५ 
तुमने स्वर दे दिया 
तोड़ तानपूरा फेंकेंगे 
तबले पर रोटी सेकेंगे 
संविधान बाँचें प्रहारकर।
सूरत नहीं सुधारेंगे हम 
मूरत तोड़  बिगाड़ेंगे हम 
मार-पीट, रोएँ गुहारकर 
फर्जी हो प्यादे ने शोर किया 
तुमने स्वर दे दिया 
***
१४.४.२०१८ 
टीप: इस रचना का भारत से कुछ लेना-देना नहीं है। 

कोई टिप्पणी नहीं: