एक कुण्डलिनी:
गूगल के १३ वें जन्मदिवस पर
संजीव वर्मा 'सलिल'
*
सकल जगत एक गाँव है, गूगल है चौपाल.
सबको सबसे जोड़ता, करता रोज कमाल.
करता रोज कमाल, धमाल मचाता जीभर.
चढ़ जाता है नशा, स्नेह की मदिरा पीकर..
कहे सलिल कविराय, अकेला रहे बे-अकल.
अकलवान है वही, जोड़ता जगत जो सकल..
Acharya Sanjiv Salil
http://divyanarmada.blogspot.com
गूगल के १३ वें जन्मदिवस पर
संजीव वर्मा 'सलिल'
*
सकल जगत एक गाँव है, गूगल है चौपाल.
सबको सबसे जोड़ता, करता रोज कमाल.
करता रोज कमाल, धमाल मचाता जीभर.
चढ़ जाता है नशा, स्नेह की मदिरा पीकर..
कहे सलिल कविराय, अकेला रहे बे-अकल.
अकलवान है वही, जोड़ता जगत जो सकल..
Acharya Sanjiv Salil
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