कवि और कविता:
डॉ. श्याम सुन्दर हेमकार
( डॉ. हेमकार हिंदी, उर्दू और संस्कृत के साहित्यकार हैं आपकी कृति 'सौरभः'(दोहानुवाद संजीव 'सलिल') बहुचर्चित और बहुप्रशंसित हुई है. आजीविका से दंत चिकित्सक होते हुए भी डॉ. हेमकार भारत और भारती की सेवा में निरंतर रत हैं. दिव्य नर्मदा को डॉ. हेमकार की रचनाएँ अंतर्जाल पर प्रथमतः प्रस्तुत करने का गौरव प्राप्त हो रहा है - सं. )
संदेश:
अंधकार में डूबे हैं, बिना रौशनी के कितने तन.
बाट जोहते हैं प्रकाश की, कितने जीवन.
तन की अँधेरी बगिया को कर आलोकित महका दें.
मरणोपरांत नेत्रदान कर जीवन ज्योति से चहका दें.
*
जीवेत रक्तं दानं नेत्रं मृत्योपरांते च
धनस्य अंशम समाजहिताय जीवनं परमार्थकं.
अर्थ:
जीते जी रक्तदान कर किसी को प्राणदान दें, मृत्यु के बाद नेत्रदान कर किसी के जीवन को प्रकाश से आप्लावित कर दें. अपनी आय के कुछ भाग को निर्धन वर्ग पर खर्च करें और जीवन परमार्थ करते-करते सार्थकता पाए.
*
खाए बहुत पत्थर, जरा फलदार क्या हुआ?
होता अगर बबूल तो बेहतर होता..
*
खुशबू की ललक में बहुत नोचा गया हूँ मैं.
कांटे पहन कर भी मैं महफूज़ न रहा..
*
गीत होता तो गुनगुना लेता,
गजल होती तो होंठों पे'सजा लेता.
*
दिल मेरा छोटा सा
आपका कद है लम्बा.
वर्ना आँखों के रास्ते
दिल में बिठा लेता..
*
आओ छोडें वहम
स्वर्ग का लालच.
हम न पालेंगे,
जायेंगे हम नर्क.
पर उसे स्वर्ग बना डालेंगे.
सृष्टि नियंता क्या तुझमें
ना इतना दम-खम था
नर्क बनाया बड़ा,
स्वर्ग क्यों कम था?
अच्छे काम करते-करते
आदमी सत्कर्मी कहलाता है.
बुरे काम करनेवाला आदमी
कुकर्मी हो जाता है.
हे प्रभु!
आपने बुरे कर्म और बुरे लोग
अधिक बनाये.
क्षमा-दयानिधि!
आप मेरी शंका में
यूँ घिर आये.
*
मैं अँधेरा हूँ,
अँधेरे तुम्हारे हर लूँगा.
बदले में
प्रकाश और रश्मियाँ
जी भर दूँगा.
याद रखो
जो भी मेरी बाँहों में,
पनाहों में नहीं आया है.
दूसरे दिन का सूरज
देख नहीं पाया है.
*
शब्द स्वयं में आडम्बर हैं
फिर भी शब्द सजाने होंगे.
एक-एक शब्दों के हमको
अगणित अर्थ लगाने होंगे.
*
लहरों के
आलिंगन में बंध
बालू बन जाती चट्टानें
नेह ह्रदय सागर में
कितना छिपा हुआ है.
वह क्या जाने?
*
गंध मोगरे की भीनी सी
फूट रही थी तन से.
गिरे-मोतिया-बिंदु बने,
जलकण स्वर्णाभ बदन से.
*
माँ का दमन न दागदार बनाया जाये.
शहीदों का लहू न व्यर्थ बहाया जाये.
आओ! बाँहों में बाहें डालकर गले तो मिलें.
अखंड भारत का नया नगमा सुनाया जाये..
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009
कवि और कविता: डॉ. श्याम सुन्दर हेमकार
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