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मंगलवार, 10 अक्तूबर 2023

उपसर्ग

उपसर्ग :


वह अव्यय जो शब्द के पहले लगकर शब्द का अर्थ बदल दे। उपसर्ग ऐसे शब्दांश है जो किसी शब्द के पूर्व जुड़ कर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं या उसके अर्थ में विशेषता ला देते है। उपसर्ग दो शब्दों ‘उप’ और ‘सर्ग’ से जुड़कर बना हुआ है। उपसर्ग का अर्थ है किसी शब्द के पास आ कर नया शब्द बनाना।


दो शब्दों के योग से मिले शब्द के आरंभ का अंश उपसर्ग कहलाता है। किसी शब्द के आरंभ में 'उपसर्ग' जोड़कर नया शब्द बनाया जा सकता है।


उपसर्ग का खुद का एक अर्थ होता है जो उस शब्द के अर्थ को बदल देता है।एक उपसर्ग का एक से अधिक अर्थ भी निकल सकता है। यह जुड़ने वाले शब्द पर निर्भर करता है कि वह किस तरह किसी बात को प्रस्तुत करता है।
उपसर्ग के तीन प्रकार होते हैं


१. संस्कृत / तत्सम उपसर्ग - २२। अति, अधि, अनु, अप, अभि, अव, आ, उत्, उप, दुर, नि, परा, परि, प्र, प्रति, वि, सम्, सु, निर्, दुस्, निस्, अपि।


अति = अधिक, उस पार, ऊपर, परे। अत्यधिक, अत्याचार, अतीव, अत्यंत, अतिकाल, अतिक्रमण, अतिमानव, अतिरिक्त, अतिरेक, अतिवृष्टि, अतिशय, अतिशीघ्र ।


अधि = ऊपर, अधिक, प्रधान, श्रेष्ठ। अध्यात्म, अधिकरण, अधिक्रम, अधिकार, अधिपाठक, अधिमास, अधिराज, अधिष्ठाता, अध्यक्ष, अध्यादेश, अधिपति, अधिगम, अधिनायक, अध्यापक, अध्यापन, अधिसूचना, अधीन, अधीर, अधीक्षण।


अनु = पीछे, समान। अन्वय, अनुकरण, अनुकूल, अनुक्रम, अनुग्रह, अनुगामी, अनुच्छेद, अनुज, अनुजा, अनुताप, अनुदान, अनुनय, अनुपमा, अनुपमेय, अनुपात, अनुफल, अनुबन्ध, अनुभव, अनुभूत, अनुमान, अनुराग, अनुरूप, अनुवाद, अनुशासन, अनुशंसा, अनुसार, अनुस्वार, ।
अनुमोदन।


अप = बुरा, विपरीत, हीन, विरुद्ध, अभाव। अपकर्म, अपकर्ष, अपकार, अपकीर्ति, अपचार, अपभ्रंश, अपमान, अपयश, अपराध, अपव्यय, अपशकुन, अपशब्द, अपसव्य, अपहरण, अपहृत, अपहर्ता।


अपि – अपिधान।


अभि = सामने, पास, ओर। अभिनय, अभिनव, अभिप्राय, अभिनेता, अभिनंदन, अभिभाषण, अभिभूत, अभिमान, अभिमुख, अभियान, अभिलाष, अभिवादन, अभिशंसा, अभिषेक, अभिसार, अभ्युदय, अभ्यागत, अभ्यास, अभिज्ञान, अभीष्ट।


अव = नीचा, बुरा, हीन, अभाव। अवनति, अवतीर्ण, अवगुण, अवज्ञा, अवधान, अवगाह, अवनत, अवतार, अवबोध, अवधारणा, अवलेह, अवसाद, अवगत, अवकाश, अवसर, अवलोकन, अवस्था, अवसान।अवगणना, अवतरण;अवगुण।


आ = तक, इधर, से, उल्टा, समेट। आजन्म, आक्रमण, आयात, आचरण, आतप, आकांक्षा, आकर्षण, आकाश, आक्रमण, आगमन, आकार, आचार, आदान, आगार, आधार, आमोद, आहार, आभार, आलंबन, आशंका, आतंक, आरंभ। आगमन, आदान; आकलन।


उत् – उत्/उद् Upsarg का अर्थ – ऊपर, उँचा, श्रेष्ठ।
उत्/उद् Upsarg के उदाहरण – उत्पन्न, उत्कृष्ट, उत्तम, उत्थान, उत्कर्ष, उत्कण्ठा, उल्लेख, उद्बोधन, उन्मत्त, उत्सर्ग, उज्जयिनी, उत्पत्ति, उन्नति, उद्घाटन, उद्देश्य, उत्पल।
उत्कर्ष, उत्तीर्ण, उत्पात, उत्थान, उद्धार, उत्साह।


उप – उप Upsarg का अर्थ – पास, सहायक, निकट, गौण, सदृश।
उप Upsarg के उदाहरण – उपसर्ग, उपहार, उपचार, उपभेद, उपनेत्र, उपकृत, उपमंत्री, उपनाम, उपस्थिति, उपसमिति, उपवास, उपयोग, उपदेश, उपनिवेश, उपबंध, उपमान, उपराम, उपवन, उपवचन, उपभेद, उपवेद।
उपाध्यक्ष, उपक्रम, उपग्रह, उपचार, उपजा, उपदिशा; उपध्येय, उपनेत्र।


दुर्, दुस् – मूल उपसर्ग ‘दु:’ होता है संधि होने पर इसी के दुर्, दुस्, दूष्, दुश् इत्यादि उपसर्ग बनते हैं।
दुर् Upsarg का अर्थ – कठिन, बुरा, विपरीत.
दुर् Upsarg के उदाहरण – दुर्लभ, दुर्जन, दुर्गुण, दुर्गति, दुराचार, दुर्योधन, दुर्गंध, दुर्भावना।
दुराशा, दुरुक्ति।


नि – नि Upsarg का अर्थ – बड़ा, विशेष।
नि Upsarg के उदाहरण – निगूढ़, निष्ठा, निरोध, निकर, निलंबन, निगम, निधन, निवास, निदान, निपात, नियुक्त, निपुण, नियोग, निज, निबंध, निदेशक, नियंत्रण, नियुक्ति, नियोजन।
निमग्न, निबंध निकामी।


निर् –मूल उपसर्ग ‘नि:’ होता है, संधि होने पर इसी के निर्, निस्, निश्, निष् इत्यादि उपसर्ग बनते हैं।
निर् Upsarg का अर्थ – बाहर, बिना।
निर् Upsarg के उदाहरण – निरादर, निर्यात, निरंकुश, निरंतर, निरामिष, निराकार, निर्गुण, निरनुनासिक, निरस्त, निरतिशय, निराश्रय, निरीश्वर, निरुत्साह, निर्मम, निर्णय, निरपराध, निर्भीक, निर्वाह, निर्दोष, निराधार, निरुपाय, निर्बल, निरोग, निर्जल।
निरंजन, निराशा।


निस् –निष्फळ, निश्चल।


परा (परा = कमी) –परा उपसर्गपरा Upsarg का अर्थ – परे, विपरीत, पीछे, अधिक।
परा Upsarg के उदाहरण – पराकाष्ठा, परामर्श, परावर्तन, पराभव, पराजय, पराक्रम, पराविद्या।
पराजय।


परि – परि Upsarg का अर्थ – चारों ओर, पास
परि Upsarg के उदाहरण – परिक्रमा, परिवार, परिजन, परिधान, परितोष, परिचारिका, परिणय, परिमार्जन, परिसर, परिज्ञान, परिधि, परिवर्तन, परिपूर्ण, परिकल्पना, परिमाण, परिश्रम, पर्याप्त।
परिपूर्ण,परिश्रम, परिवार।


प्र – प्र Upsarg का अर्थ – आगे, अधिक।
प्र Upsarg के उदाहरण – प्रबंध, प्रणीत, प्रदान, प्रगाढ़, प्रमाद, प्रणयन, प्रगति, प्रचुर, प्रसिद्ध, प्रपौत्र, प्रभाव, प्रचार, प्रगीत, प्रस्तुत, प्रमुख, प्रकोप, प्रबल।
प्रकोप, प्रबल।


प्रति – (प्रति = प्रत्येक,हर एक) प्रति Upsarg का अर्थ – विपरीत, प्रत्येक, ओर।
प्रति Upsarg के उदाहरण – प्रतिकूल, प्रतिहिंसा, प्रतिक्षण, प्रतिज्ञा, प्रतिघात, प्रतिवाद, प्रतिक्रिया, प्रतिकार, प्रतिवादी, प्रतीक्षा, प्रतिध्वनि, प्रतिदिन, प्रतिरूप, प्रतिनिधि, प्रतिस्पर्धा, प्रतिबन्ध, प्रत्येक।
प्रतिकूल, प्रतिच्छाया, प्रतिदिन, प्रतिवर्ष, प्रत्येक ।


वि –(वि = अधिक) वि Upsarg का अर्थ – विशेष, भिन्न, अभाव।
वि Upsarg के उदाहरण – विघटन, वितान, विदीर्ण, विधान, विपाक, विहार, विभेद, विशेष, विक्रम, विनय, विदेश, विज्ञानं, विख्यात, विपक्ष, विकार, विनाश, विजय, विलोचन, विप्लव, विस्मरण, वियोग।
विख्यात, विवाद, विफल, विसंगति।


सम् – सम् Upsarg का अर्थ – अच्छी तरह, पूर्ण, साथ, शुद्ध।
सम् Upsarg के उदाहरण – सम्पूर्ण, संधान, संपर्क, संभव, संबंध, संतोष, सम्मान, संचार, सन्देश, संसार, संहार, सम्मुख, समाचार, संगम, संघटन, संचय, संगत, संजय, सम्मोह, संज्ञा, संवहन।
संस्कृत, संस्कार, संगीत, संयम, संयोग, संकीर्ण।


सु – सु Upsarg का अर्थ – अच्छा, सरल, विशद।
सु Upsarg के उदाहरण – सुपुत्र, सुकर्म, सुमार्ग, सुमन, सुशील, सुगति, सुअवसर, सुचरित्र, सुगंध, सुलभ, सुजन, सुपरिचित, सुशिक्षित।
सुभाषित, सुकृत, सुग्रास; सुगम, सुकर, स्वल्प।


सु – (सु = अच्छी तरह,अधिक) सुबोधित, सुशिक्षित।


एक उपसर्ग के एक से अधिक अर्थ भी होते है। यह नियम उसके साथ जुड़ने वाले शब्द पर निर्भर करता है कि वह किस अर्थ के रूप में उस से जुड़ रहा है। सभी उपसर्गशब्द के आरंभ में लगाए गए हैं। इनसे शब्द का वास्तविक अर्थ बदल गया है, एक नया अर्थ उत्पन्न हुआ है।


दुस् Upsarg का अर्थ – बुरा, विपरीत, कठिन।
दुस् Upsarg के उदाहरण – दुष्कर, दुष्कर्म ।


22. अन् उपसर्गअन् Upsarg का अर्थ – अभाव, रहित।
अन् Upsarg के उदाहरण – अनन्त, अनादि, अनेक।


संस्कृत के अन्य उपसर्ग, उनके अर्थ तथा उदाहरण


संस्कृत भाषा में कुछ शब्दांश ऐसे होते हैं, जो मूल रूप से Upsarg नहीं होते हैं लेकिन उपसर्गों की तरह व्यवहार करते हैं। इन्हीं शब्दांशों को संस्कृत के अन्य Upsarg कहते हैं।


निचे सबसे पहले क्रम संख्या, उसके बाद संस्कृत Upsarg का नाम उसके बाद संस्कृत Upsarg का अर्थ और फिर संस्कृत Upsarg के उदाहरण दिए गए हैं।अ- (तत्सम) ==> नहीं, अभाव ==> अज्ञान, अभाव, अमंद, अधर्म, अजात, अकाल, अकारण, अथाह, अबाध, अटल, अव्यय
अध: ==> नीचे ==> अध:पतन, अधोगति, अधोमुख, अधोवस्त्र, अधोभाग
अन्त: ==> भीतर, मध्य ==> अन्तःपुर, अन्तर्यामी, अन्तःकरण, अंतर्गत, अंतर्मन, अंतरात्मा
अमा ==> पास ==> अमात्य, अमावस्या
तिरस् ==> तुच्छ ==> तिरस्कार, तिरोधान, तिरोहित
सत् ==> सत्कार ==> सत्संग, सदाचरण, सदुपदेश, सन्मार्ग, सन्मति, सज्जन
स्व ==> अपना ==> स्वदेश, स्वतंत्र, स्वार्थ, स्वार्थी, स्वाभिमान
पर ==> दूसरा ==> परदेश, परतंत्र, परार्थ, परहित, परोपकार
सह ==> साथ ==> सहचर, सहयोग, सहगान, सहयात्री, सहचर, सहोदर
प्राक् ==> पहले का ==> प्राक्तन, प्राक्कथन, प्राक्कलन
पुनर्(पुनः) ==> फिर ==> पुनर्जन्म, पुनरावृति, पुनरागमन, पुनर्निर्माण, पुनर्वास, पुनर्भाव
पुरस्(पुर:) ==> सामने, आगे ==> पुरस्कार, पुरोहित, पुरस्सर, पुरोगामी
नमस् नमः ==> नमस्कार, नमस्कर्ता, नमस्कृत
प्रातर ==> पहले ==> प्रातःकाल, प्रातःवंदनीय
संस्कृत के उपसर्ग के उदहारणअ- (a-) – निषेध या अभाव – अदृष्ट, अशब्द, अमर्त्य
अधि- (adhi-) – अधिकता, ऊपरीता – अधिपति, अधिकार, अधिशासन
अनु- (anu-) – अनुसरण, अनुकरण – अनुवाद, अनुसंधान, अनुक्रमणिका
उत्- (ut-) – ऊर्ध्व, ऊपरी – उत्क्रान्ति, उत्पन्न, उत्सव
उप- (upa-) – निकटता, समीपता – उपकार, उपनिषद, उपास्य
नि- (ni-) – नीचता, अवचेतन – निर्माण, निर्णय, निष्ठा
परा- (para-) – अतीत, अग्र – परमाणु, परवाना, परमार्थ
परि- (pari-) – चारों ओर, आसपास – परिवृत्ति, परिपूर्ण, परियोजना
प्रति- (prati-) – प्रत्येक, विरोध – प्रतिपक्ष, प्रतिवर्ष, प्रतिद्वंद्वी
प्राक्- (prak-) – पूर्व, आदि – प्राकृतिक, प्राग्ज्योतिष, प्राचीन
बहिः- (bahis-) – बाहर, अल्पता – बहिरङ्ग, बहिरागमन, बहिष्प्रवेश
बहु- (bahu-) – बहुत, विविध – बहुवचन, बहुसंख्यक, बहुरूप
भुज्- (bhuj-) – धारण, प्राप्ति – भोगभूमि, भुजंग, भुजाधारी
महा- (maha-) – महान, बड़ा – महाकाव्य, महासभा, महाजन
वि- (vi-) – विभाजन, विपरीत – विज्ञान, विपथ, विभाजन
वि- (vi-) – प्रत्येक, विपरीत – विज्ञान, विपथ, विभाजन
सम्- (sam-) – समान, संगत – समुद्र, समय, समरस
समु- (samud-) – उद्दीपन, संग्रह – समुद्घाटन, समुद्र, समुद्री
सम्प्रति- (samprati-) – अभी, इस समय – सम्प्रति, सम्प्रत्युदय, सम्प्रत्यागम
हि- (hi-) – नियति, प्राप्ति – हित, हिमशील, हितोपदेश
आ- (aa-) – प्रवेश, पूर्व, ऊर्ध्व – आगम, आवर्तन, आत्मा
अ- (a-) – निषेध या अभाव – अदृष्ट, अशब्द, अमर्त्य
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२. हिंदी उपसर्ग - १०। अ, अध, ऊन, औ, दु, नि, बिन, भर, कु, सु।


अ, अध, ऊन, औ, दु, नि, बिन, भर, कु, सु।


अ – अनेक


ऊन – उन्नति


अध – अधूरा, अधम


दु – दुश्मन, दुष्प्रभाव


नि – निस् Upsarg का अर्थ – बाहर, निषेध, बिना।
निस् Upsarg के उदाहरण – निरपराध, निस्तेज, निराकार।
निर्भय, निराला


भर– भरपूर, भरा ( भर का अर्थ पूरा या भरा हुआ होता है)


कु – कुकर्म, कुशलता (कुकर्म में कु उपसर्ग गलत अर्थ हो दर्शाता है जबकि कुशलता अर्थ में कु उपसर्ग अच्छी और निपुणता को दर्शाता है)


सु – सुस्वागत, सुइच्छा ( सु का अर्थ अच्छा होता है)


इस प्रकार शब्द के आरंभ में हिंदी के उपसर्ग को लगाया जाता है। यह उपसर्ग लगाने के बाद शब्द के मूल अर्थ में परिवर्तन आ जाता है।
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३. आगत उपसर्ग अथवा तद्भव उपसर्ग - हिंदी भाषा में विदेशी भाषाओं से आए शब्द आगत Upsarg कहलाते हैं।


अ. फ़ारसी (उर्दू) उपसर्ग - १९।
उदाहरण
गैर ==> अभाव, नहीं ==> गैर-कानूनी, गैरहाजिर, गैर-सरकारी
कम ==> थोड़ा, हीन ==> कमअक्ल, कमउगम्र, कमज़ोर
दर ==> में ==>दरअसल, दरकार, दरमियान
ना ==> अभाव ==> नापसन्द, नाराज़, नासमझ
खुश ==> अच्छा ==> खुशबू, खुशहाल, खुशदिल
ब ==> अनुसार में ==> बनाम, बदौलत, बदस्तूर
हर ==> प्रत्येक ==> हररोज, हरएक
अल==> निश्चित ==> अलबत्ता, अलगरज़, अलमस्त
बिल ==> के साथ ==> बिल्कुल, बिलवजह, बिलआखिर
बर ==> ऊपर, बाहर, पर ==> बरदाश्त, बरखास्त
बद ==> बुरा ==> बदनीयत, बदतमीज़, बदमाश
बिला ==> बिना ==> बिलाकसूर, बिलाशक
फ़िल, फी ==> प्रति, में ==> फिलहाल, फ़ीआदमी
बे ==> बिना ==> बेचारा, बेइमान
बा ==> साथ ==> बाइंसाफ, बावफा, भाकायदा
ला ==> बिना ==> लाजबाव, लाचार
सर ==> मुख्य ==> सरदार, सरताज
हम ==> बराबर ==> हमउम्र, हमवतन



अल – अलविदा, अलबत्ता
कम – कमसिन, कमअक्ल, कमज़ोर
खुश – खुशबू, खुशनसीब, खुशकिस्मत, खुशदिल, खुशहाल, खुशमिजाज
ग़ैर ( गैर का अर्थ किसी चीज की मनाही होता है)- ग़ैरहाज़िर ग़ैरकानूनी ग़ैरवाजिब ग़ैरमुमकिन ग़ैरसरकारी, ग़ैरमुनासिब
दर – दरअसल दरहकीकत
ना – (अभाव) – नामुमकिन नामुराद नाकामयाब नापसन्द नासमझ नालायक नाचीज़ नापाक नाकाम
फ़ी – फ़ीसदी, फ़ीआदमी
ब – बनाम, बदस्तूर , बमुश्किल , बतकल्लुफ़
बद – (बुरा)- बदनाम , बदमाश, बदकिस्मत,बददिमाग, बदहवास, बददुआ,
बर – (पर,ऊपर, बाहर) – बरकरार, बरअक्स ,बरजमां
बा – ( बा का अर्थ सहित होता है) – बाकायदा, बाकलम, बाइज्जत, बाइन्साफ, बामुलाहिजा
बिला - (बिला का अर्थ बिना होता है)- बिलावज़ह, बिलालिहाज़
बे - (बे का अर्थ बिना/ नहीं होता है) – बेबुनियाद , बेईमान , बेवक्त , बेरहम, बेतरह, बेइज्जत, बेअक्ल, बेकसूर, बेमानी, बेशक
ला - (ला का अर्थ बिना, नहीं होता है) – लापता , लाजबाब, लावारिस लापरवाह।

इस प्रकार उर्दू के उपसर्गों को शब्दों के आरंभ में जोड़कर एक नया शब्द बनाया जाता है। जिससे पुराने शब्द का अर्थ बदल जाता है।
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आ. अंग्रेजी उपसर्ग-
पश्चिमी देशों से आये शब्द जब उपसर्ग के रूप में प्रयोग किये जाते हैं, तो उन्हें विदेशी भाषाओं के Upsarg अथवा अंग्रेजी Upsarg कहते हैं। जो कि निम्न है-Upsarg ==> अर्थ ==> उदाहरण
सब ==> अधीन, नीचे ==> सब-जज, सब-कमेटी
फुल ==> पूरा ==> फुल शर्ट, फुल प्रूफ
जनरल ==> प्रधान ==> जनरल मैनेजर, जनरल सेक्रेटरी
डिप्टी ==> सहायक==> डिप्टी रजिस्ट्रार, डिप्टी कलेक्टर
वाइस ==> सहायक ==> वाइस चांसलर, वाइसराय
हेड ==> मुख्य ==> हेड मास्टर, हेड कलर्क
डबल ==> दुगुना ==> डबलरोटी, डबल बेड
चीफ ==> प्रमुख ==> चीफ-इन्जीनियर, चीफ-मिनिस्टर
अल, ऐन, कम, खुश, गैर, दर, ना, फ़िल्, ब, बद, बर, बा, बिल, बिला।
***
उपसर्ग कभी भी अविकारी शब्दों के साथ नहीं जुड़ते। यह तत्सम शब्दों के साथ संस्कृत में, हिंदी भाषा के शब्दों के साथ हिंदी में और विदेशी भाषा के शब्दों के साथ विदेशी भाषाओं में प्रयुक्त होते हैं।
उपसर्गअव्यय स्वरूप होते हैं, और उनके द्वारा बनाए जाने वाले नए शब्द भी अव्यय स्वरूप होते हैं। इसका मतलब है कि Upsarg स्वतंत्र रूप से उपयोग नहीं किया जा सकता है, वे किसी शब्द के साथ मिलकर ही उपयोग होते हैं।
उपसर्ग के योग से संधि पद और सामासिक पद बनाए जा सकते हैं। यह उपसर्ग और अन्य शब्दों के संयोजन से नए शब्दों का निर्माण करता है।

महत्वपूर्ण उपसर्ग

Upsarg Upsarg का अर्थ Upsarg के उदाहरण
अ- (तत्सम) नहीं, अभाव अज्ञान, अभाव, अमंद, अधर्म, अजात, अकाल, अकारण, अथाह, अबाध, अटल, अव्यय
अध:- नीचे अध:पतन, अधोगति, अधोमुख, अधोवस्त्र, अधोभाग
अन्त:- भीतर, मध्य अन्तःपुर, अन्तर्यामी, अन्तःकरण, अंतर्गत, अंतर्मन, अंतरात्मा
अमा- पास अमात्य, अमावस्या
तिरस् तुच्छ तिरस्कार, तिरोधान, तिरोहित
सत् सत्कार सत्संग, सदाचरण, सदुपदेश, सन्मार्ग, सन्मति, सज्जन
स्व अपना स्वदेश, स्वतंत्र, स्वार्थ, स्वार्थी, स्वाभिमान
पर दूसरा परदेश, परतंत्र, परार्थ, परहित, परोपकार
सह साथ सहचर, सहयोग, सहगान, सहयात्री, सहचर, सहोदर
प्राक्- पहले का प्राक्तन, प्राक्कथन, प्राक्कलन
पुनर्(पुनः) फिर पुनर्जन्म, पुनरावृति, पुनरागमन, पुनर्निर्माण, पुनर्वास, पुनर्भाव
पुरस्(पुर:) सामने, आगे पुरस्कार, पुरोहित, पुरस्सर, पुरोगामी
नमस् नमः नमस्कार, नमस्कर्ता, नमस्कृत
प्रातर पहले प्रातःकाल, प्रातःवंदनीय

ख़ुश- अच्छा ख़ुशक़िस्मत, ख़ुशबू, ख़ुशहाल, ख़ुशनुमा, ख़ुशदिल, खुशख़बरी.
गैर- रहित, भिन्न ग़ैर-ज़रूरी, ग़ैर-हाज़िर, ग़ैर-सरकारी, ग़ैर-मुमकिन, ग़ैर-जवाबी.
फ़ी- प्रत्येक फ़ी आदमी, फ़ी मैदान.
बद- बुरा बदनाम, बदचलन, बदतमीज़, बदबू, बदकार, बदज़ात, बदनसीब, बदहवास, बदसूरत, बदमाश, बदहज़मी.
बा- अनुसार, साथ में बाक़ायदा, बाइज़्ज़त, बादब, बमुलाइज़ा.
बिला- बिना बिलवाज़ह, बिलाशर्त, बिलाशक.
बे- अभाव, रहित बेचारा, बेईमान, बेहद, बेहिसाब, बेसमझ, बेजान, बेचैन, बेदर्द, बेइज़्ज़त, बेमानी, बेसिर, बेवक़्त, बेधड़क, बेरहम, बेवकूफ़.
ला- बिना लाइलाज, लाचार, लापता, लाजवाब, लावारिस, लापरवाह, लाज़िम.
दर- में दरहक़ीक़त, दरअसल, दरकार.
ना- बिना नालायक़, नापसन्द, नाकाम, नाचीज़, नामुमकीन, नादान, नाबालिग़.
सर- अच्छा सरकार, सरनाम, सरपंच, सरदार, सरताज, सरहद.
हर- प्रत्येक हरवक़्त, हररोज़, हरएक, हरदम, हरतरफ़, हरबार, हरकोई.
ब- सहित बखूबी, बतौर, बशर्त.
बेश- अत्यधिक बेश कीमती, बेश कीमत.
नेक- भला नेकराह, नेकनाम, नेकदिल, नेकइंसान, नेकनीयत.
ऐन- ठीक ऐनवक़्त, ऐनजगह.
हम- साथ हमराज़, हमदम, हमउम्र, हमराही, हमसफ़र.
अल- निश्चित अलगरज, अलविदा.
हैड- प्रमुख हैडमास्टर, हैड ऑफिस.
हाफ- आधा हाफकमीज, हाफ़पैंट.
सब- उप सब रजिस्ट्रार, सब कमेटी, सब डिवीज़न, सब इंस्पेक्टर.
को- सहित को-ऑपरेटिव, को-ओपरेशन.
वाइस उप वाइस प्रेसिडेंट, वाइस चांसलर, वाइस प्रिंसिपल.
टेली दूर टेलीफोन, टेलीविज़न, टेलिस्कोप.

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