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शुक्रवार, 27 अक्तूबर 2023

चित्रक, आयुर्वेद, ममता सैनी

चित्रक हरता कष्ट

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चित्रक की दो जातियाँ, श्वेत-रक्त हैं फूल।
भारत लंका बांग्ला, खिले न इसमें शूल।१।
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कालमूल चीता दहन, अग्नि ब्याल है आम।
बेखबरंदा फारसी, अरब शैतरज नाम।२।
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चित्रमूल चित्रो कहें, महाराष्ट्र गुजरात।
चित्रा है पंजाब में, लीडवर्ट ही भ्रात।३।
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प्लंबैगो जेलेनिका, है वैज्ञानिक नाम।
कुल प्लंबैजिलेनिका, नेफ्थोक्विनोन अनाम।४।
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कोमल चिकनी हरी हों, शाख आयु भरपूर।
जड़ पत्ते अरु अर्क भी, करें रोग झट दूर।५।
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चीनी लिपिड फिनोल है, संग प्रोटीन-स्टार्च।
संधिशोथ कैंसर हरे, करे पंगु भी मार्च।६।
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एंटीबायोटिक जड़ें, एंटी ऑक्सीडेन्ट।
करतीं दूर मलेरिया, सचमुच एक्सीलेंट।७।
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अल्कलाइड प्लंबेंगिन, कैंसर हरता तात।
नेफ्रोटॉक्सिक असर को, सिस्प्लेटिन दे मात।८।
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प्लंबेगिन अग्न्याशयी, कैंसर देता रोक।
कोलस्ट्राल एलडीएल, कम करता हर शोक।९।
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पथरी गठिया पीलिया, प्रजनन कैंसर रोक।
किडनी-ह्रदय विकार हर, घाव भरे मत टोंक।१०।
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छह फुटिया झाड़ीनुमा, पौधा सदाबहार। 
तना रहे छोटा हरा, पत्ते लट्वाकार।११।
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तीन इंच लंबा रहे, एक इंच फैलाव। 
अग्रभाग पैना रहे, जड़ के साथ जुड़ाव।१२।
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लंबाई नौ इंच के, नलिकावाले फूल। 
गंधहीन गुच्छे खिलें, पुष्पदण्ड हो मूल।१३।
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लंब-गोल फल में रहे, बीज हमेशा एक। 
श्याम-श्वेत बाह्यांsतर, खाएँ सहित विवेक।१४।
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जड़ भंगुर हों छाल पर, छोटे कई उभार। 
स्वाद तीक्ष्ण-कटु चिपचिपे, रोमयुक्त फलदार।१५।
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है यह ऊष्ण त्रिदोष हर, करे वात को शांत। 
कृमिनाशी मल निकाले, पाचन दीपन कांत।१६।
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कफ-ज्वर बंधक शोथहर, है पौष्टिक-कटु रुक्ष।  
श्लेष्मा वमन प्रमेह विष, कुष्ठ मिटाए दक्ष।१७। 
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दुग्ध-रक्त शोधन करे, योनीदोष भी दूर। 
गुल्म वायु दीपन अरुचि, मिटे शांति भरपूर।१८।
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हो जाए नकसीर यदि, शहद-चूर्ण दो ग्राम। 
चाट लीजिए तुरत हो, सच मानें आराम।१९।
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चित्रक-हल्दी-आँवला, अजमोदा-यवक्षार। 
तीन ग्राम चूरन बना, दिन में लें दो बार।२० अ। 

खाएँ मधु-घृत में मिला, दूर रहे स्वर भेद। 
रामबाण है यह दवा, चूक न करिए खेद।२० आ।
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चित्रक-सेंधा नमक लें, हरड़-पिप्पली संग। 
सुबह-शाम दो ग्राम पी, पानी गर्म मलंग।२१ अ। 

पचता भोज्य गरिष्ठ भी, मत सँकुचें सरकार।  
अग्नि दीप्त हो पच सके, जो खाएँ आहार।२१ आ।  
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ताजी जड़ का चूर्ण लें, नागरमोथे साथ। 
वायविडंग न भूलिए, सम मात्रा रख हाथ।२२ अ। 

पाँच ग्राम खा जाइए, भोजन करने पूर्व। 
पाचन शक्ति दुरुस्त हो, लगती भूख अपूर्व।२२ आ।
कल्क सिद्ध घी लीजिए, चित्रक क्वाथ समेत। 
भोजन पहले कीजिए, संग्रहणी हो खेत।२३।
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चित्रक चूर्ण मिटा सके, तिल्ली-सूजन सत्य।  
बीस ग्राम घृतकुमारी, गूदे सँग लें नित्य।२४।
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चित्रक जड़ का चूर्ण लें, तीन बार हर रोज। 
प्लीहा रोग मिटे- बढ़े, बल चेहरे का ओज।२५।
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तक्र सहित दो ग्राम लें, चित्रक त्वक का चूर्ण। 
तब ही भोजन कीजिए, अर्श मिटे संपूर्ण।२६।
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चित्रक-जड़ का चूर्ण लें, मृदा-पात्र में लेप। 
दही जमाएँ छाछ पी, अर्श मिटा मत झेंप।२७।
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चित्रक-जड़ चूरन शहद, चाटें यदि दस ग्राम।     
सहज सुखद हो प्रसव अरु, माँ पाए आराम।२८। 
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चित्रक-जड़ कुटकी हरड़, इंद्रजौ और अतीस। 
काली पहाड़ जड़ मिलाएँ, सम उन्नीस न बीस।२९ अ।

तीन ग्राम लें चूर्ण नित, सुबह-शाम बिन भूल।
वात रोग से मुक्त हों, मिटे दर्द का शूल।२९ आ।
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चित्रक जड़ पीपल हरड़, अरु चीनी रेबंद। 
काला नमक व आँवला, लें पीड़ा हो मंद।३० अ।

गर्म नीर के साथ लें, पाँच ग्राम हर रात।
आंत-वायु के संग ही, संधिवात की मात।३० आ। 
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चित्रक जड़ ब्राह्मी सहित, वच समान लें पीस। 
तीन बार दो ग्राम लें, हिस्टीरिआ मरीज।३१। 
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चित्रक जड़ पीपल मरीच, सौंठ चूर्ण सम आप। 
चार ग्राम लें तो मिटे, जल्दी ही ज्वर-ताप।३२।
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ज्वर में अन्न न खा सके, रक्त संचरण मंद। 
टुकड़े चित्रक मूल के, चबा मिले आनंद।३३।
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छत्रक जड़ रस निर्गुंडी, तीन बार दो ग्राम। 
लें प्रसूतिका ज्वर घटे, झट पाएँ आराम।३४ अ।

गर्भाशय देता बहा, दूषित आर्तव दूर। 
मिटता मक्क्ल शूल भी, पीड़ा होती दूर।३४ आ। 
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चित्रक छाला दूध-जल, पीस लेपिए आप।  
चरम रोग अरु कुष्ठ भी, मिटे घटे संताप।३५ अ।

पुल्टिस बाँधें उठेगा, छाला जब हो ठीक।      
दाग दूर हो जाएँगे, कहती आयुष लीक।३५ आ।
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दूध लाल चित्रक लगा, खुजली पर लें लीप। 
मिले शीघ्र आराम अरु, रोग न रहे समीप।३६।
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सिफलिस-कोढ़ मिटा सके, सूखी जड़ की छाल। 
सुबह-शाम त्रै ग्राम लें, चित्रक होगा लाल।३७।
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पीप बहे लें घाव पर, लेप चित्रकी छाल।
घाव ठीक हो शीघ्र ही, आयुर्वेद कमाल।३८।
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मूषक ज्वर जाए उतर, तलुए मलिए तेल। 
चित्रक छाला चूर्ण सँग, पका न पीड़ा झेल।३९।
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मात्रा अधिक न लें 'सलिल', विष सम करे अनिष्ट। 
मात्रा-विधि हो सही तो, चित्रक हरता कष्ट।४०।
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