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बुधवार, 28 अक्तूबर 2020

धन-तेरस

 धन-तेरस कब, क्यों और कैसे?

कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर सागर मंथन से उत्पन्न हुए थे। इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस घोषित किया है। धनतेरस यानी अपने धन को १३ गुणा बनाने की लोक मान्यता का द‌िन है । धनतेरस पर बरतन वाहन, गहने, बहुमूल्य उपकरण आदि खरीदने की प्रथा है।
धन तेरस पर धन्वन्तरि,लक्ष्मी, गणेश और कुबेर की पूजा करने से स्वास्थ्य-समृद्धि बनी रहती है। ॐ धं धन्वन्तरये नमः मंत्र का १०८ बार उच्चारण करभगवान धनवंतरी से अच्छी सेहत की कामना करें। धनवन्तरी की पूजा के बाद गणेश जी के समक्ष दिया-धूपबत्ती जला, फूल अर्पण कर मिठाई का नैवैद्य अर्पित करें। इसी तरह लक्ष्मी पूजन करें। धनतेरस और कुबीर देवता की पूजा हेतु एक लकड़ी के तख्ते पर स्वास्तिक का निशान बना लें।इस पर एक तेल का दिया रख-जलाकर,ढक दें। दिये के सब ओर तीन बार गंगा जल छिड़क, दीपक पर रोली-चावल से तिलक कर मीठे का भोग लगा 1 सिक्का रख लक्ष्मी और गणेश जी को अर्पण करें। दीपक को प्रणाम कर बड़ों से आशीर्वाद लें।दिया अपने घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर बाती कर रखें। तेरह दिए बालकर घर में हर ओर रख दें।

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