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सोमवार, 26 अक्तूबर 2020

दिवाली मुकतक

 दीपावली पर मुक्तकांजलि:

संजीव 'सलिल'
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सत्य-शिव-सुंदर का अनुसन्धान है दीपावली.
सत-चित-आनंद का अनुगान है दीपावली..
प्रकृति-पर्यावरण के अनुकूल जीवन हो 'सलिल'-
मनुजता को समर्पित विज्ञान है दीपावली..
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धर्म, राष्ट्र, विश्व पर अभिमान है दीपावली.
प्रार्थना, प्रेयर सबद, अजान है दीपावली..
धर्म का है मर्म निरासक्त कर्म ही 'सलिल'-
निष्काम निष्ठा लगन का सम्मान है दीपावली..
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पुरुषार्थ को परमार्थ की पहचान है दीपावली.
आँख में पलता हसीं अरमान है दीपावली..
आन-बान-शान से जीवन जियें हिलमिल 'सलिल'-
अस्त पर शुभ सत्य का जयगान है दीपावली..
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निस्वार्थ सेवा का सतत अभियान है दीपावली.
तृषित अधरों की मधुर मुस्कान है दीपावली..
तराश कर कंकर को शंकर जो बनाते हैं 'सलिल'-
वही सृजन शक्तिमय इंसान हैं दीपावली..
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सर्व सुख के लिये निज बलिदान है दीपावली.
आस्था, विश्वास है, ईमान है दीपावली..
तूफ़ान में जो अँधेरे से जीतता लड़कर 'सलिल'-
उसी नन्हे दीप का यशगान है दीपावली..
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