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बुधवार, 28 अक्तूबर 2020

सिंहवालोकनी कुण्डलिया (मात्रिक)

नव प्रयोग सिंहावलोकनी कुण्डलिया (मात्रिक)
संजीव 
*
विधान -
१. ६ समभारीय पंक्तियाँ  (मात्रिक या वर्णिक) ।
२. सभी पंक्तियाँ संपदान्ती 
३. पूर्व पंक्ति का उत्तरार्ध अथवा उत्तरार्ध का अंश पश्चात्वर्ती पंक्ति का आदि हो।
४. प्रथम पद का उत्तरार्ध  अथवा उत्तरार्ध का अंश अंतिम पंक्ति का उत्तरार्ध हो। 

बचपन बोले: उठ मत सो ले
उठ मत सो ले, सपने बो ले
सपने बो ले, अरमां तोले
अरमां तोले, जगकर भोले
जगकर भोले, मत बन शोले
मत बन शोले, बचपन बोले 
*
अपनी भाषा मत बिसराओ, अपने स्वर में भी कुछ गाओ
अपने स्वर में भी कुछ गाओ, दिल की बातें तनिक बताओ
दिल की बातें तनिक बताओ, बाँहों में भर गले लगाओ
बाँहों में भर गले लगाओ, आपस की दूरियाँ मिटाओ
आपस की दूरियाँ मिटाओ, अँगुली बँध मुट्ठी हो जाओ
अँगुली बँध मुट्ठी हो जाओ, अपनी भाषा मत बिसराओ
*

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