मुहब्बत दो शे'र - -
मुहब्बत भी सिमट कर रह गयी है चंद घंटों की
कि जिस दिन याद करते हैं , उसी दिन भूल जाते हैं.. -सुरेंद्र श्रीवास्तव
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तुड़ा उपवास करवाचौथ का नेता सियासत में
लपक बाँहों में गैरों कीमुहब्बत खोज लाते हैं - संजीव
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
मुहब्बत दो शे'र - -
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