कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 22 अक्तूबर 2020

मुक्तक

तीन मुक्तक-
*
मौजे रवां१ रंगीं सितारे, वादियाँ पुरनूर२ हैं
आफ़ताबों३ सी चमकती, हक़ाइक४ क्यों दूर हैं
माहपारे५ ज़िंदगी की बज्म६ में आशुफ्ता७ क्यों?
फिक्रे-फ़र्दा८ सागरो-मीना९ फ़िशानी१० सूर हैं
१. लहरें, २. प्रकाशित, ३. सूरजों, ४. सचाई (हक़ का बहुवचन),
५. चाँद का टुकड़ा, ६. सभा, ७. विकल, ८. अगले कल की चिंता,
९. शराब का प्याला-सुराही, १०. बर्बाद करना, बहाना।
*
कशमकश१ मासूम२ सी, रुखसार३, लब४, जुल्फें५ कमाल६
ख्वाब७ ख़ालिक८ का हुआ आमद९, ले उम्मीदो-वसाल१०
फ़खुर्दा११ सरगोशियाँ१२, आगाज़१३ से अंजाम१४ तक
माजी-ए-बर्बाद१५ हो आबाद१६ है इतना सवाल१७
१. उलझन, २. भोली, ३. गाल, ४. होंठ, ५. लटें, ६. चमत्कार, ७. स्वप्न,
८. उपयोगकर्ता, ९. साकार, १०. मिलन की आशा, ११. कल्याणकारी,
१२. अफवाहें, १३. आरम्भ, १४. अंत, १५. नष्ट अतीत, १६. हरा-भरा, १७. माँग।
*
गर्द आलूदा१ मुजस्सम२ जिंदगी के जलजले३
मुन्जमिद४ सुरखाब५ को बेआब६ कहते दिलजले७
हुस्न८ के गिर्दाब९ में जा कूदता है इश्क़१० खुद
टूटते बेताब११ होकर दिल, न मिटते वलवले१२
१. धुल धूसरित, २. साकार, ३. भूकंप, ४. बेखर, ५. दुर्लभ पक्षी,
६. आभाहीन, ७. ईर्ष्यालु, ८. सौन्दर्य, ९. भँवर, १०. प्रेम, ११. बेकाबू,
१२. अरमान।
***
२२-१०-२०१७ 
salil.sanjiv@gmail.com, ९४२५१८३२४४
http://divayanarmada@blogspot.com

कोई टिप्पणी नहीं: