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बुधवार, 25 अगस्त 2010

गीत: आराम चाहिए... संजीव 'सलिल'

गीत:

आराम चाहिए...

संजीव 'सलिल'
*













*
हम भारत के जन-प्रतिनिधि हैं
हमको हर आराम चाहिए.....
*
प्रजातंत्र के बादशाह हम,
शाहों में भी शहंशाह हम.
दुष्कर्मों से काले चेहरे
करते खुद पर वाह-वाह हम.
सेवा तज मेवा के पीछे-
दौड़ें, ऊँचा दाम चाहिए.
हम भारत के जन-प्रतिनिधि हैं
हमको हर आराम चाहिए.....
*
पुरखे श्रमिक-किसान रहे हैं,
मेहनतकश इन्सान रहे हैं.
हम तिकड़मी,घोर छल-छंदी-
धन-दौलत अरमान रहे हैं.
देश भाड़ में जाये हमें क्या?
सुविधाओं संग काम चाहिए.
हम भारत के जन-प्रतिनिधि हैं
हमको हर आराम चाहिए.....
*
स्वार्थ साधते सदा प्रशासक.
शांति-व्यवस्था के खुद नाशक.
अधिनायक हैं लोकतंत्र के-
हम-वे दुश्मन से भी घातक.
अवसरवादी हैं हम पक्के
लेन-देन  बेनाम चाहिए.
हम भारत के जन-प्रतिनिधि हैं
हमको हर आराम चाहिए.....
*
सौदे करते बेच देश-हित,
घपले-घोटाले करते नित.
जो चाहो वह काम कराओ-
पट भी अपनी, अपनी ही चित.
गिरगिट जैसे रंग बदलते-
हमको ऐश तमाम चाहिए.
हम भारत के जन-प्रतिनिधि हैं
हमको हर आराम चाहिए.....
*
वादे करते, तुरत भुलाते.
हर अवसर को लपक भुनाते.
हो चुनाव तो जनता ईश्वर-
जीत उन्हें ठेंगा दिखलाते.
जन्म-सिद्ध अधिकार लूटना
'सलिल' स्वर्ग सुख-धाम चाहिए.
हम भारत के जन-प्रतिनिधि हैं
हमको हर आराम चाहिए.....
****************
दिव्यनर्मदा.ब्लॉगस्पोट.कॉम

*

6 टिप्‍पणियां:

Kumari kanchan pandey ने कहा…

Badhiya kataksh ki gai hai es rachna mey, kahi na kahi yah sahi bhi hai, achhi rachna, dhanyavaad salil jee

Ganesh jee bagee ने कहा…

आदरणीय आचार्य जी, अब इन जन प्रतिनिधियों को सही मे आराम दे ही देनी चाहिये, बहुत कर लिये कथित रूप से जन सेवा, अब आराम करो, और नये, पढे लिखे युवा वर्ग को मौका देनी चाहिये | बड़ा ही करार व्यंग है, धन्यवाद,

Rana Pratap Singh ने कहा…

आचार्य जी सादर प्रणाम

देश के जनप्रतिनिधियों के ऊपर बहुत ही जबरदस्त व्यंग | हमारे ही धन से ऐशो आराम की जिंदगी काटने वाले हमें ही तरसा रहे हैं| इन्हें बिल्कुल ही आराम दे देना चाहिए

राज भाटिय़ा … ने कहा…

सुंदर रचना जी, धन्यवाद

ब्लॉगर Udan Tashtari … ने कहा…

बहुत बढ़िया गीत.

ब्लॉगर Babli … ने कहा…

पुरखे श्रमिक-किसान रहे हैं,
मेहनतकश इन्सान रहे हैं.
हम तिकड़मी,घोर छल-छंदी-
धन-दौलत अरमान रहे हैं..
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! इस शानदार रचना के लिए बधाई!