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शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2022

समाचार 
हिंदी दिवस समारोह 
भाष्य की भाषा रोजगार परक और विज्ञान मित्र होगी - आचार्य ' सलिल'

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शहडोल, १४ सितंबर २०२१। स्थानीय शंभुनाथ विश्वविद्यालय सभागार में हिंदी दिवस के अवसर पर सम्पन्न परिचर्चा में भाषा के भविष्य तथा समसामयिक लेखन पर परिचर्चा संपन्न हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. मुकेश कुमार तिवारी की अध्यक्षता, सुप्रसिद्ध उपन्यासकार-कवि श्री राजीव शर्मा, आयुक्त शहडोल के मुख्यातिथ्य तथा संस्कारधानी जबलपुर से पधारे सुप्रसिध्द छन्दशास्त्री, समीक्षक, संपादक आचार्य इं. संजीव वर्मा 'सलिल', श्री विनय कुमार पांडेय उपायुक्त शहडोल एवं प्रो. विनय कुमार सिंह कुलसचिव के विशेषातिथ्य  में हिंदी दिवस समारोह संपन्न हुआ। 

कोरोना की शासकीय आचार संहिता का पालन करते हुए मुखावरण व पारस्परिक  दूरी बनाये रखते हुए इस आयोजन में  सारस्वत समारोह में हिंदी के अतीत, वर्तमान तथा भविष्य के परिदृश्य को प्रस्तुत करते हुए आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' ने ध्वनि से सृष्टि की उत्पत्ति, ध्वनि से भाषा के उद्गम, लिपि के अन्वेषण, भाषाओँ में उच्चारण व  ,भारत की भाषा समस्या, भाषायी एकता, भाषाओँ के विलोपन के कारण , हिंदी के वैशिष्ट्य, हिंदी की अभिव्यक्ति सामर्थ्य, हिंदी से रोजगार अर्जन तथा देश के आर्थिक विकास में हिंदी के महत्वपूर्ण अवदान पर प्रकाश डाला। विद्वान वक्ता ने वर्तमान में प्रतिव्यक्ति आय और कुल राष्ट्रीय आय के अर्जन में हिंदी के योगदान को प्रमाणित करते हुए कहा कि अंग्रेजी से रोजगार प्राप्ति की धारणा मिथ्या और अवैज्ञानिक है। श्रोताओं की करतल ध्वनि के मध्य सलिल जी ने घोषित किया कि हिंदी में विश्व की किसी भी अन्य भाषा की तुलना में रोजगार उत्पन्न करने की सामर्थ्य अधिक है, आवश्यकता इस सामर्थ्य को समझने और तदनुसार पाठ्यक्रमों में परिवर्तन करने की है। हिंदी के समसामयिक लेखन का उल्लेख करते हुए वक्ता ने परशुराम, शंकराचार्य जैसे युगांतरकारी व्यक्तित्वों को तात्कालिक सन्दर्भों में समझे जाने को आवश्यक बताया और श्री राजीव शर्मा के उपन्यास द्वय विद्रोही सन्यासी तथा अद्भुत सन्यासी को उपलब्धि बताया। 

इसके पूर्व डॉ. आरती झा प्राध्यापक हिंदी विभाग ने  परशुराम पर केंद्रित उपन्यास 'अद्भुत सन्यासी'  तथा डॉ. प्रमोद पांडेय प्राध्यापक भौतिकी ने आदि शंकराचार्य के अवदान को व्याख्यायित करते उपन्यास 'विद्रोही सन्यासी' की सटीक और सम्यक समीक्षाएँ प्रस्तुत कीं। आयोजन की संयोजिका डॉ. नीलमणि दुबे ने हिंदी दिवस पर आत्मचिंतन तथा देश और विश्व के भावी परिदृश्य की संकल्पना में हिंदी की भूमिका के आकलन तथा उसे अधिकतम प्रभावी बनाने हेतु प्रयास किये जाने को आवश्यक बताया। 

मुख्य अतिथि श्री राजीव शर्मा ने उपन्यास लेखन हेतु विषय चयन, शोध कार्य, प्रामाणिक जानकारी संकलन, सम्यक विश्लेषण, भाषा के चयन, उपन्यास द्वय को मिली उत्साहवर्धक पाठकीय प्रतिक्रियाओं की चर्चा करते हुए कहा कि सहस्त्रों पृष्ठ पढ़ने के बाद कुछ पंक्तियाँ लिखी सकी हैं। उपन्यास की लेखन प्रक्रिया, कथा की तथ्यात्मक प्रामाणिकता हेतु सामग्री संचयन, निष्पक्ष विवेचना आदि की चर्चा करते हुए विद्वान वक्ता ने प्रशासनिक दायित्वों की निर्वहन करते हुए साहित्य सृजन में हुई कठिनाइयों का संकेत करते हुए, लेखकीय अस्मिता और सत्य स्थापना के संकल्प को आवश्यक बताया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. मुकेश कुमार तिवारी, कुलपति शंभुनाथ शुक्ल ने युवा छात्रों से जीवन की चुनौतियों का सामना करते हुए जीवन पथ पर बढ़ने तथा अपनी भूमिका को पहचानने की अपेक्षा की। विश्ववाणी हिंदी संस्थान जबलपुर तथा समन्वय प्रकाशन जबलपुर की गतिविधियों देते हुए संजीव सलिल ने पुसतालय हेतु पुस्तकें पत्रिकाएं कुलपति जी को भेंट कीं। कार्यक्रम के संयोजिका प्रो. नीलमणि दुबे जी तथा प्रो. आरती झा ने अतिथियों का परिचय सदन से कराया। विश्वविद्यालय की और से कुलपति प्रो. मुकेश कुमार तिवारी ने राजीव शर्मा जी तथा आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' जी का शॉल, श्रीफल, पुस्तकोपहार से स्वागत करते हुए अभिनन्दन पत्र भेंट किए। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विविध विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक तथा छात्र-छात्रों  ने उत्साहपूर्वक सहभागिता कर आयोजन को सफल बनाया।   


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