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सोमवार, 28 फ़रवरी 2022

सॉनेट, मुक्तिका,

सॉनेट 
चूहे को पंजे में दाब शेर मुस्काए। 
चीं-चीं कर चूहा चाहे निज जान बचाए। 
शांति वार्ता का नाटक जग के मन भाए।।  
बंदर झूल शाख पर जय-जयकार गुँजाए।। 

'भैंस उसी की जिसकी लाठी' अटल सत्य है। 
'माइट इज राइट' निर्बल ही पीटता आया। 
महाबली जो करे वही होता सुकृत्य है।।
मानव का इतिहास गया है फिर दुहराया।।

मनमानी को मन की बात बताते नेता। 
देश नहीं दल की जय-जय कर चमचे पाले। 
जनवाणी जन की बातों पर ध्यान न देता।। 
गुटबंदी सीता को दोषी बोल निकाले।।
  
निज करनी पर कहो बेशरम कब शरमाए। 
चूहे को पंजे में दाब शेर मुस्काए।।
२८-२-२०२२    
***
मुक्तिका
इसने मारा, उसने मारा
इंसानों को सबने मारा
हैवानों की है पौ बारा
शैतानों का जै-जैकारा
सरकारों नें आँखें मूँदीं
टी. वी. ने मारा चटखारा
नफरत द्वेष घृणा का फोड़ा
नेताओं ने मिल गुब्बारा
आम आदमी है मुश्किल में
खासों ने खुद को उपकारा
भाषणबाजों लानत तुम पर
भारत माता ने धिक्कारा
हाथ मिलाओ, गले लगाओ
अब न बहाओ आँसू खारा
*
२८-२-२०२०

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