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गुरुवार, 3 फ़रवरी 2022

वधु स्वागत गीत

 स्मृतिशेष मातुश्री शांति देवी द्वारा लिखित वधु स्वागत गीत
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द्वारे बहुरिया आई सुनत जननी उठ धाई...

हरे-हरे अँगना गोबर लिपयो, अक्षत चौक पुराई
आरती थाल सजाय सुमित्रा, कैकई दीप जलाई
द्वारे बहुरिया आई सुनत जननी उठ धाई...

परछन करें मातु कौशल्या, घंटा-शंख बजाई
सुमन आनन लेंय बलैया, भुज भर ह्रदय लगाई 
द्वारे बहुरिया आई सुनत जननी उठ धाई... 

महल-द्वार हथ-थापे लीन्हें, सकल प्रजा हर्षाई 
प्यारी ननद कंगन खुलावें, कुल देवता पुजाई 
द्वारे बहुरिया आई सुनत जननी उठ धाई... 

निरख-निरख छवि बहु-बेटे की मैया बलि-बलि जाई 
विधबा राख्यो कुसल हमारी, मन्नत शांति मनाई 
द्वारे बहुरिया आई सुनत जननी उठ धाई... 
***
स्मृतिशेष मातुश्री शांति देवी द्वारा लिखित वधु स्वागत गीत २ 
*
आई सिया ससुराल विदा हो नैहर से।  
अंगना हो मंगलचार ढोल शहनाई बजे ......

तीन सास आरती उतारें, बहुएँ मिलीं चार चार 
कही न जाए सुषमा अवध की, ढोल शहनाई बजे ......

मुख देखें कौसल्या माता, दें हीरों के हार। 
मातु कैकेई दीन्हें कंगन, ढोल शहनाई बजे ......

मैया सुमित्रा नज़र उतारें, बाजूबंद दें वार 
राजा दशरथ मुहर लुटाएँ,  ढोल शहनाई बजे ......

*** 

वधु स्वागत गीत
सुमित्रा नंदन पंत
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दुग्ध पीत अधखिली कली सी
मधुर सुरभि का अंतस्तल
दीप शिखा सी स्वर्ण करों के
इन्द्र चाप का मुख मंडल!
शरद व्योम सी शशि मुख का
शोभित लेखा लावण्य नवल,
शिखर स्रोत सी, स्वच्छ सरल
जो जीवन में बहता कल कल!

ऐसी हो तुम, सहज बोध की
मधुर सृष्टि, संतुलित, गहन,
स्नेह चेतना सूत्र में गुँथी
सौम्य, सुघर, जैसे हिमकण!
घुटनों के बल नहीं चली तुम,
धर प्रतीति के धीर चरण,
बड़ी हुई जग के आँगन में,
थामे रहा बाँह जीवन!

आती हो तुम सौ सौ स्वागत,
दीपक बन घर की आओ,
श्री शोभा सुख स्नेह शांति की
मंगल किरणें बरसाओ!
प्रभु का आशीर्वाद तुम्हें, सेंदुर
सुहाग शाश्वत पाओ
संगच्छध्वं के पुनीत स्वर
जीवन में प्रति पग गाओ!
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