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सोमवार, 21 फ़रवरी 2022

दोहा सलिला

गले मिले दोहा यमक
*
धमक यमक की जब सुने, 
चमक-दमक हो शांत।
अटक-मटक मत मति कहे,
सटक न होना भ्रांत।।
*
नौ कर आप न चाहते, 
पर नौकर की चाह।
हो न कलेजा चाक रब, 
चाकर कर परवाह।।
*
हो बस अंत असंत का, 
यही तंत है तात।
संत बसंत सजा सके, 
सपनों की बारात।।
गले मिले दोहा यमक
*
धमक यमक की जब सुने, 
चमक-दमक हो शांत।
अटक-मटक मत मति कहे,
सटक न होना भ्रांत।।
*
नौ कर आप न चाहते, 
पर नौकर की चाह।
हो न कलेजा चाक रब, 
चाकर कर परवाह।।
*
हो बस अंत असंत का, 
यही तंत है तात।
संत बसंत सजा सके, 
सपनों की बारात।।
*
यम कब यमक समझ सके, 
सोच यमी हैरान।
तमक बमक कर ले न ले, 
लपक जान की जान।।
***

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