कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 19 नवंबर 2020

कुण्डलिया

एक कुण्डलिया 
मन मनमानी करे यदि, कस संकल्प नकेल 
मन को वश में कीजिए, खेल-खिलाएँ खेल 
खेल-खिलाएँ खेल, मेल बेमेल न करिए 
व्यर्थ न भरिए तेल, वर्तिका पहले धरिए 
तभी जलेगा दीप, भरेगा तम भी पानी 
कसी नकेल न अगर, करेगा मन मनमानी
*

कोई टिप्पणी नहीं: