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सोमवार, 16 नवंबर 2020

मुकतक

मुकतक सलिला 
*
सूरज आया, नभ पर छाया,
धरती पर सोना बिखराया
जग जाग उठा कह शुभ प्रभात,
खग-दल ने गीत मधुर गाया
*
पत्ता-पत्ता झूम रहा है
पवन झकोरे चूम रहा है
तुहिन-बिंदु नव छंद सुनाते
शुभ प्रभात कह विहँस जगाते
*
चल सपने साकार करें
पग पथ पर चल लक्ष्य वरें
श्वास-श्वास रच छंद नए
पल-पल को मधुमास करें
*

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