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बुधवार, 7 अक्तूबर 2020

दुर्गा-पूजा में सरस्वती

........... दुर्गा-पूजा में सरस्वती ...........
दुर्गापूजा में माँ दुर्गा की प्रतिमा के साथ भगवान शिव,गणेशजी,लक्ष्मीजी, सरस्वतीजी और कार्तिक जी की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है।
श्रीदुर्गासप्तशती पाठ(स्रोत,गीताप्रेस,गोरखपुर)के पंचम अध्याय में इस बात की चर्चा है कि महासरस्वती अपने कर कमलों घण्टा, शूल,हल,शंख,मूसल,चक्र,धनुष और बाण धारण करती है।शरद ऋतु के शोभासम्पन्न चन्द्रमा के समान जिनकी मनोहर कांति है,जो तीनों लोकों की आधारभूता और शुम्भ आदि दैत्यों का नाश करने वाली है तथा गौरी के शरीर से प्राकट्य हुआ है।पंचम अध्याय के प्रारम्भ में ही निम्नलिखित एक श्लोक के द्वारा इस बात का ध्यान किया गया है।
श्लोक
योगी,दिव्यदर्शी,युगदृष्टा सद्गुरुजी के अनुसार ईश्वर की स्त्री प्रकृति के तीन आयाम,दुर्गा(तमस-निष्क्रियता),लक्ष्मी(रजस-जुनून,क्रिया),सरस्वती(सत्व-सीमाओं को तोड़ना,विलीन हो जाना)है।जो ज्ञान की वृद्धि के परे जाने की इच्छा रखते हैं,नश्वर शरीर से परे जाना चाहते हैं,वे सरस्वती की पूजा करते हैं।जीवन के हर पहलू को उत्सव के रूप में मनाना महत्वपूर्ण है।हर अच्छे चीज़ से जुड़े रहना अच्छी बात है।(स्रोत-यूट्यूब,गूगल)
इन बातों के अलाबा लोगों के विभिन्न मत हैं पर उनमें कहीं न कहीं कुछ समानताएं हैं और उपरोक्त तथ्यों से कुछ न कुछ मेल खाते हैं।एक अधिवक्ता मित्र श्री संजय चक्रवर्ती के अनुसार दुर्गापूजा में माँ के साथ उनके सभी सन्तान और पति की पूजा होती है क्योंकि दैत्यों के विनाश में इन देवी-देवताओं का भी साथ था।सभी देवताओं के एक साथ पूजा होने के कारण ही इस पूजा को महापूजा कहा गया है और साधारणतः महाषष्ठी, महासप्तमी,महाष्टमी,महानवमी,महादशमी के नाम से जाना जाता है।
पूजा पंडाल के एक पुजारी श्री काली पदो चटर्जी जी के अनुसार भगवान राम ने सिर्फ माँ दुर्गा की पूजा की थी।परन्तु कालांतर में ऐसा माना गया कि माँ दुर्गा अपने मायके आती हैं तो साथ में अपने संतान और पति को भी लातीं हैं या संतान उनसे मिलने आते हैं,इसलिए सबकी पूजा एक साथ की जाने लगी।
एक अनुभवी व्यक्ति श्री ठाकुर के अनुसार यह पूजा बहुत बड़ी पूजा है और इतने बड़े पूजा में देवी-देवताओं के आवाहन के लिए बुद्धि,ज्ञान,वाकशक्ति की आवश्यकता होती है इसलिए माँ सरस्वती की पूजा की जाती है।
अतः उपरोक्त सभी बातों को समग्र रूप से मिलाकर समझा जाये तो यह स्पष्ट होता है कि माँ दुर्गा की पूजा में अन्य देवी-देवताओं के साथ सरस्वती जी की पूजा बहुत ही महत्वपूर्ण और सार्थक है।

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