ख़बरदार दोहा
संध्या सिंह को फड्स बुक ने ऑथर माना
*
संध्या को ऑथर माना मुखपोथी जी
या सिंह से डर यश गाया मुखपोथी जी
फेस न बुक हो जाए लखनऊ थाने में
गुपचुप फेस बचाया है मुखपोथी जी
लाजवाब नवगीत, ग़ज़ल उम्दा लिखतीं
ख्याल न अब तक क्यों आया मुखपोथी जी
जुड़ संध्या के साथ बढ़ाया निज गौरव
क्यों न सैल्फी खिंचवाया मुखपोथी जी
है "मुखपोथी रत्न" ठीक से पहचानो
कद्र न करना आया है मुखपोथी जी
देख 'सलिल' में फेस कभी 'संजीव' बनो
समझ न तुमको क्यों आया मुखपोथी जी
तुम से हम हैं, यह मुगालता मत पालो
हम से तुम हो, सच भाया मुखपोथी जी?
*
संजीव
१९-१-२०
७९९९५५९६१८
संध्या सिंह को फड्स बुक ने ऑथर माना
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संध्या को ऑथर माना मुखपोथी जी
या सिंह से डर यश गाया मुखपोथी जी
फेस न बुक हो जाए लखनऊ थाने में
गुपचुप फेस बचाया है मुखपोथी जी
लाजवाब नवगीत, ग़ज़ल उम्दा लिखतीं
ख्याल न अब तक क्यों आया मुखपोथी जी
जुड़ संध्या के साथ बढ़ाया निज गौरव
क्यों न सैल्फी खिंचवाया मुखपोथी जी
है "मुखपोथी रत्न" ठीक से पहचानो
कद्र न करना आया है मुखपोथी जी
देख 'सलिल' में फेस कभी 'संजीव' बनो
समझ न तुमको क्यों आया मुखपोथी जी
तुम से हम हैं, यह मुगालता मत पालो
हम से तुम हो, सच भाया मुखपोथी जी?
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संजीव
१९-१-२०
७९९९५५९६१८
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