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शुक्रवार, 10 जनवरी 2020

लघुकथा- औरतों की उन्नति

लघुकथा-

औरतों की उन्नति
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अपने लेखन की प्रशंसा सुन मित्र ने कहा - 'आप सबसे प्रशंसा पाकर मन प्रसन्न होता है किंतु मेरे पति प्राय: कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करते। मेरा ख़याल है कि उन्हें मेरा लिखना पसंद नहीं है परन्तु आप कहते हैं कि ऐसा नहीं है। यदि उन्हें मेरा लिखना औए मेरा लिखा अच्छा लगता है तो यह जानकर मुझे ख़ुशी और गौरव ही अनुभव होगा। मुझे उनकी जो बात अच्छी लगती है मैं कह देती हूँ, वे क्यों नहीं कहते?'

"क्या उन्होंने कभी आपको रोका, अप्रसन्नता व्यक्त की या आपके कार्य में बाधक हुए?"

सोचते हुए मित्र ने कहा - 'नहीं, इसके विपरीत सासू माँ द्वारा मुझे कोई काम बताने पर खुद करने लगते हैं और मुझे निकलने का अवसर उपलब्ध करा देते हैं। मेरे माँगने से पहले ही मेरी अलमारी में यथावश्यक धन रख देते हैं।' 

"तब तो उनका समर्थन आपके साथ है ही, फिर भी शिकायत?"

'क्यों नहीं हो? वे मेरे साथ क्यों नहीं आते? जब बुलाती हूँ तो चालक को गाड़ी लेकर भेज देते हैं।'

"आपकी सब सुविधा का ध्यान रखते हैं, सहयोग भी करते हैं। फिर तो आपको शिकायत नहीं होना चाहिए। उनकी रूचि साहित्य में नहीं होगी इसलिए नहीं आते।"      

'भाड़ में जाए उनकी रूचि, उन्हें मेरा ध्यान रखना चाहिए। उनकी पत्नी मैं हूँ। मुझे किसी के बारे में कुछ कहना हो तो किससे कहूँ? किसी को कैसे बताऊँ की वो मेरे कितना ध्यान रखते हैं?'

" यह बताने की जरूरत ही क्या है?"                                                                                                                                                             
' आप सब आदमी लोग एक जैसे होते हैं, आपको औरतों की खुशियों का ख्याल ही नहीं होता।'

"आप भी तो उनके संगीत कार्यक्रम में नहीं जातीं। "

'मैं क्यों जाऊँ? ये तो निठल्लों के शौक हैं। काम न काज, बैठे-बैठे तार टकराते रहो। गजब ये कि दूसरे निठल्ले बैठे वाह वाह करते रहते हैं।''

"तब तो हिसाब बराबर हो गया न?"

'अरे वाह, ऐसे कैसे हो गया हिसाब बराबर? उनका कर्तव्य है कि मेरा साथ दें। मैं उनके बेकार के शौक में समय क्यों बर्बाद करूँ? मेरे पास पहले ही समय की कमी है पर उन्हें तो सब छोड़कर पहले मेरे साथ आना ही चाहिए न? आप सब मर्द एक जैसे होते हैं, औरतों की उन्नति नहीं चाहते।' मैं कुछ बोल पाता इसके पहले ही आक्रोश भरे स्वर में फुंफकारती हुई वे सभागार में प्रवेश कर गईं।    

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