मुक्तिका
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'वयम्' जी रहा, 'अहम्' न पाला
वहम न किंचित् गया सम्हाला
पग भर भी जो साथ चला है
उसको तनिक न भूला-टाला
दुख में सुख था, सुख में दुख है
मना न करता, कहता ला-ला
चंद्र-कांता सूर्य-रश्मि को
नमन किया, कह मौसी-खाला
ममी न अपनी सगी लग सकी
माँ-मैया से मिला निवाला
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
बुधवार, 29 जनवरी 2020
मुक्तिका
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आचार्य संजीव वर्मा सलिल
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