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शुक्रवार, 22 मार्च 2019

त्रिभंगी फागुन

त्रिभंगी छंद:
संजीव 'सलिल'
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ऋतु फागुन आये, मस्ती लाये, हर मन भाये, यह मौसम।
अमुआ बौराये, महुआ भाये, टेसू गाये, को मो सम।।
होलिका जलायें, फागें गायें, विधि-हर शारद-रमा मगन-
बौरा सँग गौरा, भूँजें होरा, डमरू बाजे, डिम डिम डम।।
२१.३.२०१३ 
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