गुजरात की लोककथा - ताना री री
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प्रायः हम बहुत से लोकश्रुत कथानकों से अनभिज्ञ होते हैं। ऐसे ही एक पक्ष को आज मेरी कलम से पढ़िये।
ताना और रीरी दो बहने (खयाल गायकी में जिन्हे श्रीगणेश के साथ 'नोम तोम ताना रीरी' के रूप में प्रथम स्मरण कर के सम्मान दिया जाता है।) जो (गुजराती के महाकवि सूरदास) नरसी मेहता की पुत्री कुंवरबाई की पुत्री शर्मिष्ठा की दो पुत्रियां थी। नागर ब्राह्मण कुल में जन्मी दो बहने उस मुगल युग के संक्रमण काल में संगीत के लिए शहीद हुईं। हिंदी पट्टी में प्रायः हम सुनते हैं कि तानसेन ने दीपक राग गाकर अकबर दरबार में दीपक जलाए थे, जिसे मल्हार राग गाकर उसकी बेटी ने ताप हरण किया था। लेकिन वास्तव में तानसेन के दीपक राग से उत्पन्न ताप को 'ताना रीरी' ने मल्हार गाकर ठीक किया था।
ताना रीरी पर बनी गुजराती फिल्म में ताना का किरदार कानन कौशल ने तथा रीरी का किरदार बिंदु ने निभाया है।
तानसेन दीपक राग गा तो लिये लेकिन दाह से पीड़ित होकर भ्रमण पर निकले तब (नरेन्द्र मोदी जी के गांव) वड़नगर (जिला मेहसाणा) के शर्मिष्ठा तालाब पर ठहरे, ताना और रीरी उसी समय पानी के घड़े लेकर आई। रीरी ने घड़ा भर लिया मगर ताना बार बार घड़ा भरती और फिर उलींच देती, रीरी ने कहा कि चलो देर होगी। तब ताना ने कहा कि जब तक मेरे घड़े में जल भरने में राग मल्हार का स्वर न निकलने लगे मैं पानी नहीं ले जाऊंगी।
पेड़ के नीचे ठहरे तानसेन की खोज पूरी हुई। ताना रीरी से आग्रह किया, उन्होने बगैर नागर कुल से अनुमति के बगैर गाने से मना किया। फिर तानसेन ने शपथ लेकर ताना रीरी का किसी को उल्लेख न करने की बात पर वह आयोजन सम्पन्न किया। तानसेन दाह से मुक्त हुए। मगर तानसेन को अकबर के सामने मृत्यु भय से राज खोलना पड़ा।
खैर कथा में बहुत सी अनुश्रुतियां है, मगर तानसेन की वादा खिलाफी के कारण उन दोनों बहनों को अल्पायु में आत्मोत्सर्ग करना पड़ा। कोई कहता है उन्होने कुए में कूद कर आत्म हत्या की, कोई कहता है उन्होने राग से अग्नि प्रज्वलित कर अग्निस्नान किया।
जो भी हो मगर ताना रीरी का वह आत्म बलिदान गुर्जर माटी के कण कण में व्याप्त है।
ताना रीरी के बलिदान की वर्षगांठ परसों दिनांक १८ नवम्बर २०१८ (कार्तिक शुक्ल ९) को है। गुजरात राज्य अपनी इन लाड़ली बेटियों को खूब सम्मान देता है। लता जी और उषा जी मंगेशकर, गिरिजा देवी, किशोरी अमोनकर जी, बेगम परवीन सुल्ताना, डॉ प्रभा अत्रे, मंजु बेन मेहता आदि इस पुरस्कार को प्राप्त कर चुकीं है।
इस बार के ताना रीरी महोत्सव में १७ नवम्बर २०१८ को कलागुरू महेश्वरी नागराजन, सप्तक स्कूल ऑफ म्यूजिक अहमदाबाद की समूह वादन प्रस्तुति तबला और संतूर, पियू बेन सरखेल का गायन, पंडित विश्वमोहन भट्ट और सलिल भट्ट की प्रस्तुति, हिमांशु मेहता की मोहन वीणा प्रस्तुति और सायली तलवलकर की प्रस्तुति होगी।
१८ नवम्बर २०१८ को पद्मश्री आशा भोसले, डॉ एन राजम और डॉ रूपान्दे शाह को ताना रीरी सम्मान से पुरस्कृत किया जाएगा। विशेष आयोजन में डॉ धारी पंचमदा ५ मिनट में २१ राग प्रस्तुत कर गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाएंगी। एन राजम वॉयलिन पर प्रस्तुति देंगी। साधना सरगम गीत और ऋषिकेश सेन का बांसुरी वादन होगा।
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