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मंगलवार, 21 नवंबर 2023

पर्पल पेन

 

'पर्पल पेन' समूह दिल्ली की एक प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था है, जो वर्ष 2015 से सतत साहित्य सेवा में जुटी है। काव्य गोष्ठियों एवं दैनिक लिखित आयोजनों के अतिरिक्त समूह समय-समय पर प्रतियोग्यताएँ भी आयोजित कर रहा है। समूह की ओर से गत आठ वर्ष में लगभग पैंसठ ज़मीनी कार्यक्रम किये गए जो इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, प्रेस क्लब, मालवीय भवन, हिन्दी भवन, गाँधी शांति प्रतिष्ठान, नेहरू युवा केंद्र जैसी मशहूर जगहों पर किये गए।  पिछले आठ वर्षों में पर्पल पेन समूह ने छह साझा काव्य संग्रह प्रकाशित किये जिनमें से तीन -- काव्य सुरभि, किसलय और परिमल -- नवांकुरों के प्रोत्साहन हेतु नि:शुल्क प्रकाशित किये गए। अन्य तीन -- काव्याक्षर, अक्षरम् तथा कौस्तुभ -- समूह के सदस्यों के आग्रह पर अल्प आर्थिक सहयोग से प्रकाशित हुए। इन छह साझा संग्रहों के अलावा पर्पल पेन सदस्यों के लगभग एक दर्जन एकल संग्रहों को भी अपने मंच से लोकार्पित कर चुका है। इनमें से अधिकतर की यह पहली पुस्तक थी। साहित्य के अतिरिक्त हम समाज और देश के प्रति भी समर्पित भाव से अपनी श्रद्धांजलि कई प्रकल्पों के माध्यम से देते रहते हैं। इनमें पर्पल पेन बैनर के तले पुस्तक तथा लेखन सामग्री/खिलौने/खाद्य सामग्री वितरण, फौजियों को राखियां भेजना तथा राष्ट्रीय पर्वों पर तिरंगा बैज वितरण प्रमुख हैं।

समूह के सदस्यों एवं अन्य कविगण को भारत की परंपरा और धरोहर (हस्तकला, वास्तुकला, आदि) से परिचय कराने के उद्देश्य से 'पर्पल पेन हेरिटेज वॉक' आयोजित की जाती हैं। सर्दियों में लोधी गार्डन, जंतर मंतर, हुमायूं के मकबरे, जैसे खुले स्थानों पर भी हम काव्य गोष्ठियां करते रहे हैं जहाँ देशी और विदेशी पर्यटक भी कविताओं का आनंद लेते रहे हैं। लोकगीत, संगीत और लोक संस्कृति के संवर्धन एवं पुनः प्रवर्तन के लिए महिला सदस्यों के साथ 'तीज उत्सव' जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं जहाँ महिलाएं पारम्परिक वेशभूषा, श्रृंगार, आदि पहना कर लोकगीत-संगीत की प्रस्तुति देती हैं।

उत्सव 'जश्न-ए-अल्फ़ाज़' सहित अन्य कार्यक्रमों में अब तक करीब डेढ़ सौ से अधिक सम्मान (ट्रॉफी, मोमेंटो, सम्मान प्रतीक) साहित्यकारों, कलाकारों, समाजसेवियों, पर्यावरणविदों, मीडियकर्मियों आदि को प्रदान किये जा चुके हैं। इनमें साहित्य शिल्पी सम्मान, साहित्य कौस्तुभ सम्मान, साहित्य प्रसून, साहित्य केतु, साहित्य साधक सम्मान, साहित्य सेवी सम्मान, तेजस्विनी सम्मान, साहित्य श्री सम्मान, साहित्य प्रहरी सम्मान, कला श्री सम्मान प्रमुख हैं। कोविड के समय ऑनलाइन आयोजन और प्रशस्ति पत्र इनसे अलग हैं।

समूह साहित्य के प्रचार-प्रसार, देश और समाज सेवा के साथ भाषा उन्नयन के लिए भी प्रतिबद्ध है। हिन्दी दिवस पर प्रतियोगिताएं आयोजित कर सभी को हिन्दी तथा अपनी मातृ भाषा बोलने/लिखने के लिए प्रेरित करता है। (लेकिन हम अंग्रेजी के विरोधी नहीं हैं। हमारा मानना है की हिन्दी जैसी समृद्ध भाषा को किसी विदेशी भाषा से कोई ख़तरा हो ही नहीं सकता। आवशयकता है दोनों के व्यावहारिक प्रयोग की और हिन्दी को कमतर न ममझने की। हिन्दी में अत्यंत क्लिष्ट शब्दावली का प्रयोग युवाोँ को इससे विमुख कर रहा है।) समूह की गतिविधियों के इस परिचय के उपरांत मैं आपको बताते हुए हर्षित हूँ की आगामी दिसंबर में हम अपने नवम स्थापना दिवस और अष्टम वार्षिक उत्सव मनाने जा रहे हैं।
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ॐ 
विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर 
समन्वय प्रकाशन जबलपुर 

आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
संस्थापक-संयोजक

प्रिय वसुधा जी!  
                  सादर भारत-भारती । 

                 दिलवालों की दिल्ली में सतत साहित्यिक अलख जलाए रखनेवाली संस्था 'पर्पल पेन' किशोर हो रही है। इससे पूर्व के चरण चलना सीखने, चलने, बढ़ने और खुद को गढ़ने के रहे हैं। इसी मध्य पर्पल पेन ने 'पूत के पाँव पालने में दीखते हैं' कहावत को चरितार्थ करते हुए नव पीढ़ी की आवश्यकतानुसार भारत की भाषा को रूप देने की कोशिश की। एक ऐसी भाषा जो गत और आगत के बीच पुल बनती हो, जिसमें अतीत से लोक में व्याप्त ग्रामीण बोलियों, विद्वज्जनों से संस्कृत, आम लोगों से उर्दू और आधुनिक शिक्षा हेतु आवश्यक अंग्रेजी के शब्दों का सारगर्भित उपयोग हो।, भाषा जो बनावटी नहीं, स्वाभाविक-सरल-सहज हो। मेरा मत है- 

हिंदी आटा माढ़ लें, देशज मोयन डाल। 
'सलिल' संस्कृत सान दे, पूड़ी बने कमाल।। 

                 भाषिक संस्कार हेतु प्रतियोगिताओं और प्रकाशनों के माध्यम से नवोदितों को प्रोत्साहित किया जाना अनुकरणीय गतिविधि है। इसके साथ-साथ हस्तकला, वास्तुकला और जश्ने अल्फ़ाज़ जैसे अनुष्ठानों से 'पर्पल पेन' ने अपनी बहु आयामी दूर दृष्टि का परिचय दिया है। मेरा निवेदन है कि पर्यावरण और परिवेश की शुद्धता की ओर भी 'पर्पल पेन' का ढेन जाए। 

जन्म ब्याह राखी तिलक, गृह-प्रवेश त्योहार। 
'सलिल' बचा पौधे लगा, दें पुस्तक उपहार।।

                 'पर्पल पेन' में प्राण शक्ति का संचार कर आपने एक मिसाल कायम कहै। मैं आपका और सभी सदस्यों का अभिनंदन करते हुए सबके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।  

शुभाकांक्षी

 


संजीव वर्मा 'सलिल'



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