मुक्तक
जन्म दिवस पर बहुत बधाई
पग-तल तुमने मन्ज़िल पाई
शतजीवी हो, गगन छू सको
खुशियों की नित कर पहुनाई
शतजीवी हो, गगन छू सको
खुशियों की नित कर पहुनाई
*
दोहा सलिला
लट्टू पर लट्टू हुए, दिया न आया याद
जब बिजली गुल हो गई, तब करते फरियाद
*
उग, बढ़, झर पत्ते रहे, रहे न कुछ भी जोड़
सीख न लेता कुछ मनुज, कब चाहे दे छोड़
सीख न लेता कुछ मनुज, कब चाहे दे छोड़
*
लोकतंत्र में धमकियाँ, क्यों देते हम-आप
संविधान की अदेखी, दंडनीय है पाप
संविधान की अदेखी, दंडनीय है पाप
*
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