दोहा सलिला
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सही-गलत जाने बिना, बेमतलब आरोप.
लगा, दिखाते नासमझ, अपनो पर ही कोप.
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मन में क्या?, कैसे कहें?, हो न सके अनुमान.
राजनीति के फेर में, फिल्मकार कुर्बान.
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अक्षर मिलकर शब्द बन, हमें बताते अर्थ.
मिलकर रहें न जो 'सलिल', उनका जीवन व्यर्थ.
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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