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मंगलवार, 15 सितंबर 2020

विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर : - गतिविधियाँ


- : विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर : - 
गतिविधियाँ 
।।जन्म ब्याह राखी तिलक, गृहप्रवेश त्यौहार। सलिल बचा पौधे लगा दें पुस्तक उपहार ।।
संवत् - विक्रम २०७७, शक १९४२, वीर निर्वाण २५४६, बांग्ला १४२७, हिजरी १४४२, ईस्वी सन् २०२०.
कोरोना महामारी के आतंक ने समस्त साहित्यिक-सामाजिक संस्थाओं की गतिविधियों को प्रभावित किया है। संस्थान ने सन्नाटे को तोड़ते हुए सदस्यों के मनोबल की वृद्धि और रचना सामर्थ्य के माध्यम से जीवन में उल्लास को घोलने के लिए अभिनव उपकरण के रूप में वाट्स ऐप का उपयोग किया। अभियान समूह पटल पर साप्ताहिक कार्यक्रम निर्धारित कर निर्धारित विषयानुसार रचनाएँ आमंत्रित कर अपेक्षाकृत अल्प लोकप्रिय विधाओं में सृजन, विविध कलाओं, विज्ञान, अभियांत्रिकी, चिकित्सा आदि संबंधी जानकारी सदस्यों और उनके स्वजनों तक पहुँचाई गईं। 
मार्गदर्शन हेतु आभार : 
डॉ. सुरेश कुमार वर्मा, आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी, वीणा तिवारी, इंजी. अमरेंद्र नारायण , डॉ. चंद्रा चतुर्वेदी, डॉ. राजकुमार सुमित्र, आचार्य भगवत दुबे, मोहन शशि, साधना उपाध्याय, डॉ. अनामिका तिवारी, आशा रिछारिया, लक्ष्मी शर्मा ।  
बहुमूल्य सहभागिता सहयोग हेतु आभार  : 
वेदिका गीतिका टीकमगढ़, कांता राय भोपाल, डॉ. संतोष शुक्ला ग्वालियर, श्रीधर प्रसाद िद्ववेदी पलामू, शशि पुरवार पुणे, राजेंद्र वर्मा लखनऊ, अमरनाथ लखनऊ, देवकीनंदन ‘शांत’ लखनऊ, अनिल अनवर जोधपुर, मृदुला श्रीवास्तव जोधपुर, डॉ. अरविन्द श्रीवास्तव दतिया, इंजी. अमरसिंह राजपूत दमोह, डॉ. छगनलाल गर्ग सिरोही, ग्रुप कैप्टेन (से. नि.) श्यामल सिन्हा गुरुग्राम, नरपत वैतालिक जयपु, प्रो. श्वेतांक किशोर जपला, डॉ. रेखा सिंह जपला, नरेंद्र शर्मा गोपाल जी आगरा, मंजरी शुक्ल पानीपत, पुष्पा अवस्थी ‘स्वाति’ मुंबई, विनीता पैगवार रायपुर, कविता राय दिल्ली, मेघा राठी भोपाल, रवि शुक्ल बीकानेर, हीरालाल यादव मुंबई , आभा सक्सेना देहरादून, राजीव नामदेव राणालिघौरीटीकमगढ़, अर्पणा तिवारी इंदौर, इंजी. अवधेश सक्सेना शिवपुरी, राजेश तिवारी मैहर, अमित साहू दमोह, गायत्री शर्मा कोरबा, डॉ. नेहा त्रिपाठी ‘इलाहाबादी’ दिल्ली, डॉ. अरविन्द गुरु-डॉ. मंजरी गुरु रायगढ़, के. डी. शरद रांची, डॉ. रघुनंदन चिले  दमोह।  

प्रो. चित्रभूषण श्रीवास्तव, आशा वर्मा, डॉ. इला घोष, डॉ. सुमनलता श्रीवास्तव, डॉ. राजलक्ष्मी शिवहरे, डॉ. साधना वर्मा, डॉ. स्मृति शुक्ल, डॉ, नीना उपाध्याय, डॉ. अरुण शुक्ल, ब्रिगेडियर (से.नि.) बिपिन त्रिवेदी, अभय तिवारी, सूरज राय ‘सूरज’,  डॉ. भावना शुक्ल दिल्ली,  विधान चौबे, दिया वैश्य, बसंत मिश्रा,  जयप्रकाश श्रीवास्तव, सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’, डॉ. मुकुल तिवारी, छाया सक्सेना, डॉ. आलोकरंजन जपला, पुनीता भारद्वाज भीलवाड़ा, इंजी. अरुण भटनागर, विनोद जैन ‘वाग्वर’ सागवाड़ा, इंजी. विवेकरंजन श्रीवास्तव, इंजी. सुरेंद्र पवार, प्रतुल श्रीवास्तव, अरुण कुमार 'अर्णव', मीनाक्षी शर्मा 'तारिका',  मीना भट्ट, मिथलेश बड़गैया, विनीता श्रीवास्तव, अर्चना गोस्वामी,  सारांश गौतम, प्रभा विश्वकर्मा ’शील’, रजनी शर्मा रायपुर, बबीता चौबे दमोह, सुषमा शैली दिल्ली, मनोरमा पाखी भिंड, वीना श्रीवास्तव राँची, रजनी शर्मा रायपुर, मनोरमा रतले दमोह, छाया त्रिवेदी, अर्चना मलैया, डॉ. वंदना दुबे, डॉ. कामना तिवारी,  डॉ. भावना दीक्षित, इंजी. इंद्रबहादुर श्रीवास्तव,  रमन श्रीवास्तव, इंजी. रमाशंकर खरे, इंजी. दुर्गेश ब्योहार, प्रो. शोभित वर्मा, इंजी. उदयभानु तिवारी ‘मधुकर’, इंजी. सलीम अंसारी, अखिलेश खरे, यूनुस अदीब, माधुरी मिश्रा, विजय बागरी, राजकुमार महोबिआ, सिद्धेश्वरी सराफ, सपना सराफ, भारती पाराशर, पवन जैन, मधु जैन, प्रभात दुबे,  मदन श्रीवास्तव, मनोहर चौबे ‘आकाश’,  अर्चना राय, चंदा स्वर्णकार, उमा मिश्रा ‘प्रीति’, किशोर पारीक, सुरेश मिश्र 'विचित्र', महेश प्रकाश शर्मा, दुर्गा शर्मा, कमलकांत शर्मा, कंचन लता स्वर्णकार, डॉ. बृज कुमार मिश्र।   
प्रशिक्षा  रंजन, रुद्रप्रकाश, श्रुति रिछारिया था संजीव वर्मा ‘सलिल’।    
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दैनिक  वंदना / चिंतन पर्व : प्रात: ६ बजे से ८ बजे, सृजन पर्व - प्रात: ८ बजे से संध्या ६ बजे,  विमर्श-संवाद पर्व : संध्या ६बजे से रात्रि ८ बजे तक, विषय मुक्त रचनाकाल - रात्रि ८ बजे से प्रात: ६ बजे
 दैनिक विषय सारिणी 
स्थाई स्तंभ प्रति दिन : वंदना, सूक्ति-सुभाषित, कार्यशाला, पर्व-जयंती, पाठकीय, प्रतिवेदन।
व्यवस्थापक : उदयभानु तिवारी 'मधुकर', मीनाक्षी शर्मा 'तारिका', अर्चना गोस्वामी।
सोमवार - धर्म / योग सत्र : सभ्यता, संस्कृति, आध्यात्म्य, योग, दर्शन, ज्योतिष, ।
व्यवस्थापक : अरुण भटनागर जबलपुर, अरुण श्रीवास्तव 'अर्णव' भोपाल, सारांश गौतम जबलपुर।
मंगलवार - लोक / बाल सत्र : लोक / बाल संबंधित पर्व, कथा, गीत, नाट्य, साहित्य आदि।
व्यवस्थापक : पुनीता भारद्वाज भीलवाड़ा, प्रभा विश्वकर्मा जबलपुर, बबीता चौबे।
बुधवार - पद्य सत्र : गीत, कविता, क्षणिका, रस, छंद, अलंकार ।
व्यवस्थापक - छाया सक्सेना जबलपुर,  मीना भट्ट जबलपुर, विनोद जैन 'वाग्वर' सागवाड़ा राजस्थान  ।
गुरुवार - गद्य सत्र : कहानी, लघुकथा, उपन्यास, निबंध, समालोचना, लेख आदि।
व्यवस्थापक : डॉ. मुकुल तिवारी जबलपुर, मनोरमा जैन 'पाँखी' भिंड, वीणा सिंह सिहोरा।
शुक्रवार - विमर्श सत्र - संगोष्ठी  परिचर्चा, साक्षात्कार, संस्मरण, पर्यटन कथा आदि।
व्यवस्थापक : अखिलेश सक्सेना कासगंज, डॉ. अनिल जैन दमोह, सुषमा सिंह सिहोरा।
शनिवार - भाषा सत्र - भाषा विग्यान, व्याकरण, भाषांतरण, अनुवाद, अन्य भाषाओं / बोलियाँ का साहित्य।
व्यवस्थापक : डॉ आलोकरंजन जपला, डॉ. अरविंद श्रीवास्तव दतिया, निरुपमा वर्मा एटा।
रविवार - कला व विज्ञान सत्र - गायन, वादन, नर्तन, रेखांकन, चित्रांकन, छायांकन, पाककला, श्रृंगार, साज-सज्जा, उद्यानिकी, मनरंजन आदि।
व्यवस्थापक : डॉ. अनिल बाजपेई जबलपुर, प्रो. शोभित वर्मा, अस्मिता शैली।
विषय मुक्त रचनाकाल प्रति दिन : व्यवस्थापक : रमन श्रीवास्तव जबलपुर, सपना सराफ जबलपुर, डॉ. मीना श्रीवास्तव ग्वालियर।

।।अनिल अनल भू नभ सलिल, पंचतत्व संसार।  भाषा भूषा संस्कृति, है असार में सार।।  

नियम  -
१. पटल पर निर्धारित विषयानुकूल रचनाओं के सिवाय कोई लिंक, टिप्पणी या विज्ञापन प्रस्तुत न करें। विषयानुकूल लिंक, साहित्यिक आयोजनों की सूचना व्यवस्थापकों को भेजें। वे उपयुक्त होने पर मुक्त समय में प्रस्तुत करेंगे। 
२. रचनाओं व विमर्श की भाषा शिष्ट, कथ्य प्रामाणिक, शब्द सटीक हों। 
३. रचनाओं पर पाठकीय टिप्पणी, विमर्श, सुझाव आदि रचनाकार के व्यक्तिगत पटल पर भेजें। उचित लगे तो अपनायें,  बहस न करें।
४. रचनाकाल की सभी रचनाओं पर पाठकीय प्रतिक्रिया एक बार विमर्श पर्व में दी जा सकती है। ।
५. अन्य स्रोत से ली गई सामग्री का संदर्भ अवश्य दें।
६. सामग्री की प्रामाणिकता, सत्यता, वैधानिकता हेतु केवल प्रस्तुतकर्ता जिम्मेदार हैं, पटल संचालक-प्रबंधक-व्यवस्थापक नहीं।
७. विवाद की स्थिति में संस्था सचेतक, अध्यक्ष या संयोजक का निर्णय सब पर बंधनकारी होगा।
८. विमर्श, गोष्ठी, परिसंवाद, कार्यशाला आदि हेतु विधा व दिन संचालक की पूर्व अनुमति-सहमति प्राप्त कर आयोजित करें।

विशेष सारस्वत अनुष्ठान - 
मार्च २०२० : श्रीमती कांता राय भोपाल के मुख्यातिथ्य में लघुकथा प्रकोष्ठ का गठन। सतना, शिवपुरी टीकमगढ़ में ईकाई स्थापित। अभियान जबलपुर के तत्वावधान में कार्य शालाएँ व विमर्श। 
अप्रैल २०२० : पुस्तक संस्कृति तथा घरेलू पुस्तकालय स्थापना। 
मई २०२० : दैनिक सारस्वत अनुष्ठान। ४ छंद पर्व। ५ लघुकथा पर्व। ६ गीत पर्व।७ गद्य पर्व। ८ हिंदी ग़ज़ल (मुक्तिका) पर्व। ९ परिचर्चा - कोरोना अभिशाप में वरदान। १० कला पर्व। ११ बाल साहित्य पर्व। १२ लोक साहित्य पर्व। १३. पुस्तक पर्व। १४. रस पर्व। १५ स्मृति पर्व प्रिय सैम सामयिक रचनाकार। १६ विमर्श : कोरोना त्रासदी और तालाबंदी । १७  एकता पर्व। १८ विमर्श : कविता क्या, क्यों, किस तरह? १९ लघुकथा पर्व। २० राष्ट्रभक्ति पर्व। २१ स्मरण पर्व दिवंगत साहित्यकार।  २२ गज़लकार स्मरण पर्व। २३ लघुकथा पर्व। २४ कला पर्व। २५ मात्रिक छंद पर्व। २६ लोक पर्व : कहावतें, मुहावरे, लोकोक्तियाँ। २७ पुस्तक चर्चा पर्व : उपन्यास युगपरिधि - डॉ. चंद्रा चतुर्वेदी। २८ अलंकार पर्व। २९ स्मरण पर्व २ दिवंगत साहित्यकार। ३० गृहवाटिका पर्व। ३१ कला पर्व। 
जून २०२० : १ नव सृजन पर्व। २ आत्मावलोकन पर्व। ३ भाषा विज्ञान पर्व। ४ पर्यावरण चेतना पर्व। ५ हिंदी ग़ज़ल पर्व। ६ हाइकू पर्व। ७ कला पर्व। ८ धर्म-योग पर्व। ९ लघुकथा पर्व।  १० पुस्तक चर्चा पर्व। ११ घरेलु नुस्खे पर्व। १२ संस्मरण पर्व। १३ त्रिपदिक छंद पर्व। १४ यांत्रिकी-वास्तु पर्व। अभियान वाट्स ऍप पटल पर निर्धारित विषयानुसार दैनिकी सृजन पर्व। 
१५ जून के पश्चात् ज़ूम तथा गूगल मीट पर विमर्श, गोष्ठियाँ तथा परिसंवाद। 
प्रति रविवार : काव्य गोष्ठी, संचालन बसंत शर्मा। 
२० जुलाई : साहित्यिक पत्रिका ‘साहित्य सरोज’ गहमर पर संस्मरण प्रस्तुति। 
१४ अगस्त : सुमन साहित्यिक परी समूह में ‘हिंदी साहित्य की विविध विधाएँ’ विषयक विमर्श। 
५ सितंबर : शिक्षक दिवस पर अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति दिल्ली  के तत्वावधान में हिंदी काव्यपाठ, सायं ५ बजे  - ६ बजे। 
१३ सितम्बर : ग्यारहगांव हिंदाव  देहरादून के सौजन्य से हिंदी दिवस की पूर्व सांध्य बेला पर”हिंदी कल, आज और कल’ विशेष वार्ता। हिंदी भाषा - बोली पर्व 
सर्व सेवा समिति सिहोरा तथा विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर का समन्वित आयोजन।  
इसके अंतर्गत विविध बोलिओं के द्विसाप्ताहिक पर्व आयोजित किये जा रहे हैं। अब तक बुंदेली, पचेली, बघेली, निमाड़ी, मालवी के पर्व आयोजित किये जा चुके हैं और छत्तीसगढ़ी पर्व चल रहा है।राजस्थानी, बृज, अवधी, भोजपुरी मैथिली, गढ़वाली आदि बोलिओं पर क्रमश: पर्व आयोजित किये जाएँगे। पर्व के अंतर्गत उस बोली के क्षेत्र की लोक संस्कृति (गीत, कथा, नाट्य, पर्व आदि), साहित्य, साहित्यकार, दर्शनीय स्थल आदि से संबंधित सामग्री संकलित-प्रस्तुत की जाएगी। 

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