स्तुति
शारदे माता मुझको वर दे,
हे करूणामयि वीणावादिनी
ज्योतिर्मय जग कर दे.......
हे ब्रम्हाणी, हे कल्याणी,
तू है सकल मनोरथ दानी।
मन-मालिन्य दूर कर दे माँ,
उर में ममता भर दे।।
इन्द्रधनुष सा स्वर लहरा दे,
जगमग ज्योति लहर बिखरा दे।
सन्मति भर दे जन मानस में,
ओंकार सा स्वर भर दे।।
अखिल विश्व में ज्ञान बिखेरा,
काटो भव-सागर का फेरा।
तेरे चरणों पर नत-मस्तक,
वरद-हस्त माँ घर दे।।
श्री मती निरुपमा श्रीवास्तव,अयोध्या
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