एकाक्षरी दोहा:
आनन्दित हों, अर्थ बताएँ
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की की काकी कूक के, की को काका कूक.
काका-काकी कूक के, का के काके कूक.
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एक द्विपदी
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भूल भुलाई, भूल न भूली, भूलभुलैयां भूली भूल.
भुला न भूले भूली भूलें, भूल न भूली भाती भूल.
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यह द्विपदी अश्वावातारी जातीय बीर छंद में है
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