बघेली सरस्वती वंदना
डॉ. नीलमणि दुबे
शहडोल
*
को अब आइ सहाइ करै,पत राखनहार सरस्सुति मइया,
तोर उजास अॅंजोर भरै,उइ आइ मनो रस-रास जुॅंधइया!
बीन बजाइ सॅंभारि करा,हमरे तर आय न आन मॅंगइया,
भारत केर उबार किहा,महॅंतारि बना मझधार क नइया!!
नीलमणि दुबे
दिनांक २६-०९-२०१९
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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रविवार, 27 सितंबर 2020
बघेली सरस्वती वंदना
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आचार्य संजीव वर्मा सलिल
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