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बुधवार, 18 मार्च 2020

कल्पना चावला

स्मृति लेख
भारतीय अमरीकी अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'

कल्पना चावला के लिए इमेज नतीजे
कल्पना चावला भारत की पहली महिला और दूसरी भारतीय है जिन्होंने अन्तरिक्ष की यात्रा की है।  राकेश शर्मा पहले भारतीय थे  जिन्होंने अन्तरिक्ष का भ्रमण किया था।  कल्पना चावला की प्रारंभिक शिक्षा करनाल के ही “टैगोर बाल निकेतन” (सीनियर सेकंडरी स्कूल) में हुई उनके पिताजी उन्हें एक शिक्षिका या डॉक्टर के रूप में देखना चाहते थे लेकिन कल्पना ने भारत के प्रथम पायलट जे. आर. डी. टाटा. से प्रेरणा लेकर एरोनॉटिकल इंजीनियर बनने का निर्णय लिया। कल्पना की माता संजयोती चावला,  पिता बनारसीलाल चावला, दो बहनें दीपा और सुनीता तथा एक भाई संजय हैं। १७ मार्च १९६२ को करनाल , हरियाणा में जन्मी कल्पना चावला ने अपने सपने को साकार करने के लिए वर्ष १९७८ में पंजाब इंजीनियरिंग कालेज में अरोनोटिकल ब्रांच में दाखिला लिया और १९८२ में स्नातक की उपाधि प्राप्त कर अमेरिका चली गई। १९८४ में टेक्सास यूनिवर्सिटी में एयरोस्पेस इंजिनियरिंग स्नातक, १९८६ में स्नात्कोत्तर  तथा १९८८ में  पीएच.डी.  पूरी करने बाद वर्ष १९८८ में अंतरिक्ष विज्ञान केन्द्र नासा में उनका चयन हुआ। अपने फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर जीन पिएरे हैरिसन से शादी करने के बाद उन्हें अमेरिका की नागरिकता मिल गयी। उनका शोध कार्य एयरक्राफ्ट के आस-पास वायु का प्रवाह देखना था। वर्ष १९९३ में कैलिफोर्निया में जॉनसन स्पेस सेंटर में एक एस्ट्रोनोट के तौर पर १५ वें रिसर्च वैज्ञानिक दल की नायक कल्पना का काम मूविंग मल्टीप्ल बॉडी प्रॉब्लम के अनुकरण को देखना था। कल्पना के कई शोधपत्र  विज्ञान पत्रिकाओं में प्रकाशित और समादृत हुए। 

कल्पना चावला 994 में नासा की ओर से अन्तरिक्ष यात्री कोर में शामिल हुई और अपनी पहली उड़ान के लिए चुनी गई।  उन्हें पहली बार कोलम्बिया स्पेस शटल में मिशन विशेषज्ञ के तौर पर अंतरिक्ष में १९९७ में भेजा गया। कल्पना चावला अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थी। वह अंतरिक्ष में जानेवाली प्रथम भारतवंशी महिला होने के साथ अमरीकी नागरिक थी जिसने अंतरिक्ष की उड़ान भरी। कल्पना ने न सिर्फ अंतरिक्ष की दुनिया में उपलब्धियाँ हासिल कीं, बल्कि तमाम छात्र-छात्राओं को सपनों को जीना सिखाया। कल्पना ने अपने पहले मिशन में कुल १.०४  करोड़ मील की यात्रा की जिसमे उन्होंने पृथ्वी की २५२ परिक्रमा की और अन्तरिक्ष में ३६० घंटे बिताये। अपनी पहली सफल यात्रा के बाद इन्हें स्पेस स्टेशन पर कार्य करने की जिम्मेदारी मिली। सन २००२ को उन्हें अपनी दूसरी अन्तरिक्ष यात्रा के लिए चुना गया था।  

१ फरवरी २००३ दूसरी अन्तरिक्ष यात्रा से वापसी के समय तकनीकी गड़बड़ी के कारण कोलंबिया अंतरिक्षयान पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया और नष्ट हो गया। यान में मौजूद सभी ७ यात्री खाक हो गए, कल्‍पना की उड़ान रुक गई। यह घटना संपूर्ण विश्व के लिए दुखद थी। कल्पना चावला को अपने पूरे जीवन काल में अपने क्षेत्र में विशिष्ट कार्य के लिए तीन मुख्य सम्मानों कांग्रेस नल अन्तरिक्ष पदक, नासा विशिष्ट सेवा पदक और नासा अन्तरिक्ष उडान पदक  सम्मानित किया गया। नासा अन्तरिक्ष उडान पदक कल्पना चावला को मरणोपरांत दिया गया था। यह पुरुस्कार अन्तरिक्ष में जाने वाले यात्रिओं को सफलतापूर्वक किसी खोज को सत्यापित करने पर दिया जाता है। कोलंबिया स्पेस शटल के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद आज भी कल्पना चावला युवाओं के लिए एक मिसाल हैं। उन्होंने कहा था "मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूँ।" किसने सोचा था कि वे अंतरिक्ष से महाप्रस्थान का संकेत दे रही थीं। 

कल्पना ने कल्पना को कर दिया साकार था
स्वप्न जो देखा, लगन से दे दिया आकार था
व्योम में जा ॐ से साक्षात् कर यह लोक तज
जीत बाधाएँ सभी हँसकर किया भव पार था
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