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सोमवार, 16 मार्च 2020

गले मिलें दोहा यमक

गले मिलें दोहा यमक  
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चिंता तज चिंतन करें, दोहे मोहें चित्त  
बिना लड़े पल में करें, हर संकट को चित्त  

दोहा भाषा गाय को, गहा दूध सम अर्थ
दोहा हो पाया तभी, सचमुच छंद समर्थ 
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सरिता-सविता जब मिले, दिल की दूरी पाट 
पानी में आगी लगी, झुलसा सारा पाट 
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राज नीति ने जब किया, राजनीति थी साफ़ 
राज नीति को जब तजे, जनगण करे न माफ़ 
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इह हो या पर लोक हो, करके सिर्फ न फ़िक्र 
लोक नेक नीयत रखे, तब ही हो बेफ़िक्र 
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धज्जी उड़ा विधान की, सभा कर रहे व्यर्थ 
भंग विधान सभा करो,  करो न अर्थ-अनर्थ    
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सत्ता का सौदा करें, सौदागर मिल बाँट 
तौल रहे हैं गड्डियाँ, बिना तराजू बाँट 
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किसका कितना मोल है, किसका कितना भाव 
मोलभाव का दौर है, नैतिकता बेभाव 
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योगी भूले योग को, करें ठाठ से राज  
हर संयोग-वियोग का, योग करें किस व्याज?
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जनप्रतिनिधि जन के नहीं, प्रतिनिधि दल के दास 
राजनीति दलदल हुई, जनता मौन-उदास 
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कब तक किसके साथ है, कौन बताये कौन?
प्रश्न न ऐसे पूछिए, जिनका उत्तर मौन 
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संजीव 
१६-३-२०२० 
९४२५१८३२४४   

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