हास्य रचना
*
कविता कविता जप रहे,
नासमिटी है कौन?
पूछ रहीं श्रीमती जी,
हम भय से हैं मौन।
हम भय से हैं मौन,
न ताली आप बजाएँ।
दुर्गा काली हुई,
किस तरह जान बचाएँ।
हाथ जोड़, पड़ पैर,
मनाते खुश हो सविता।
लाख कहे मिथलेश,
ऩ लिखना हमको कविता।।
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कविता कविता जप रहे,
नासमिटी है कौन?
पूछ रहीं श्रीमती जी,
हम भय से हैं मौन।
हम भय से हैं मौन,
न ताली आप बजाएँ।
दुर्गा काली हुई,
किस तरह जान बचाएँ।
हाथ जोड़, पड़ पैर,
मनाते खुश हो सविता।
लाख कहे मिथलेश,
ऩ लिखना हमको कविता।।
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