मुक्तिका
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सुधियाँ तुम्हारी जब तहें
अमृत-कलश तब हम गहें
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सुधियाँ तुम्हारी जब तहें
अमृत-कलश तब हम गहें
श्रम दीप मंज़िल ज्योति हो
कोशिश शलभ हम मत दहें
कोशिश शलभ हम मत दहें
बन स्नेह सलिला बिन रुके
नफरत मिटा बहते रहें
नफरत मिटा बहते रहें
लें चूम सुमुखि कपोल जब
संयम किले पल में ढहें
संयम किले पल में ढहें
कर काम सब निष्काम हम
गीता न कहकर भी कहें
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संजीव
२६-३-२०२०
९४२५१८३२४४
गीता न कहकर भी कहें
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संजीव
२६-३-२०२०
९४२५१८३२४४
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