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रविवार, 22 मार्च 2020

द्विपदी

द्विपदी 
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कांत सफलता पाते तब ही, रहे कांति जब साथ सदा
मिले श्रेय जब भी जीवन में, कांता की जयकार लिखें
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सुबह उषा का पीछा करता, फिर संध्या से आँख मिला
रजनी के आँचल में छिपता, सूरज किससे करें गिला?
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