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मंगलवार, 31 मार्च 2020

लघु कथा : उफ़ यह फैशन - प्रीति मिश्रा

लघुकथा
उफ़ यह फैशन
प्रीति मिश्रा, जबलपुर
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हमारे पड़ोस में एक आंटी रहती हैं वह आज की फैशन के युग में नए-नए बच्चों को देखकर उनकी नकल करके कपड़े पहनती रहती हैं सलवार सूट इवनिंग गाउन। एक दिन बड़ा मजेदार किस्सा हुआ मेरे बच्चे स्कूल गए और पति ऑफिस गए, थक हार कर सोचा कि एक कप चाय पीकर आराम से बैठती हूँ। तभी हल्ला मचा, बाहर देखा तो अंकल जी की तबीयत खराब थी और उनके दोस्त उनको डॉक्टर के यहाँ लेकर जा रहे थे। बिचारी आंटी भी रो रही थी फिर किसी तरह माहौल शांत हुआ और थोड़ी देर बाद देखा कि आंटी अपनी बाई पर चिल्ला रही थीं "अरे कहाँ मर गई? मेरे सर पर मेहंदी तो डाल दे, बाल कितने सफेद हो गए हैं। तेरे अंकल की तबीयत बहुत खराब है, कहीं उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा तो मैं पके बाल लेकर हॉस्पिटल जाऊंगी क्या? डॉक्टर और नर्स क्या बोलेंगे?"
शाम को अंकल आ गए और उनकी हालत ठीक थी। उनका ब्लड प्रेशर बढ़ा था और उन्हें गैस के कारण दर्द था। अंकल को ठीक देखकर आंटी हक्की-बक्की रह गई और बोलीं- "तुम्हारे चक्कर में मैंने कितनी तैयारी कर ली और आज सुबह से मेरा कोई काम भी नहीं हो पाया" । हम दंग रह गए‌ ,समझ नहीं आ रहा था कि अंकल की तबीयत पूछें या आंटी को देखें। "उफ़ यह फैशन और इस फैशन की मारी महिलाएं"।
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