नवगीत:
संजीव
.
मन की तराजू पर तोलो
.
'जीवन मुश्किल है'
यह सच है
ढो मत,
तनिक मजा लो.
भूलों को भूलो
खुद या औरों को
नहीं सजा दो.
अमराई में हो
बहार या पतझड़
कोयल कूके-
ऐ इंसानों!
बनो न छोटे
बात में कुछ मिसरी घोलो
.
'होता है वह
जो होना है''
लेकिन
कोशिश करना.
सोते सिंह के मुँह में
मृग को
कभी न पड़ता मरना.
'बोया-काटो'
मत पछताओ
गिर-उठ कदम बढ़ाओ.
ऐ मतिमानों!
करो न खोटे
काम, न काँटे बो लो.
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