चित्र पर कविता:
संध्या सिंह
पेड़-पवन , पंछी-गगन , बजा भोर का साज़ |
धरा-सूर्य के मिलन का , क्या अद्भुत अंदाज़ |
संजीवधरा-सूर्य के मिलन का , क्या अद्भुत अंदाज़ |
क्या अद्भुत अंदाज़, देख मन नाच रहा है
पंछी-पंछी प्रणय-पत्रिका बाँच रहा है
क्षितिज सरस दरबारी हँसे पवन को छेड़
याद करें संध्या को प्रमुदित होकर पेड़
निशा कोठारी
सदा ही करती भोर का मनभावन आगाज़
जाने क्या इस कलम की सुंदरता का राज़
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