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१. डब्बों की सभी श्रेणियों तथा स्टेशनों पर शौचालयों के निर्माण में पुरुष / स्त्री, सामान्य /अशक्त-वृद्ध जनों / बच्चों का ध्यान रखकर संख्या तथा उपादान लगाये जाना चाहिए.
२. शौच की प्राकृतिक अनिवार्यता के मद्देनज़र यह सुविधा निशुल्क हो ताकि किसी की जेब में मुद्रा न होने पर भी उसे सार्वजनिक स्थल पर मल-मूत्र त्याग न करना पड़े.
३. रेलगाड़ी में वाश बेसिन बच्चों की कम ऊँचाई के अनुकूल नहीं हैं.
४. अस्थि रोग ग्रस्त यात्रियों को बढ़ती संख्या को देखते हुए हर डब्बे में दोनों छोर पर एक-एक कमोड (पश्चिमी शैली) युक्त शौचालय हो.
५. लंबी दूरी की रेलगाड़ियों में शावर हो तो स्नान की सुविधा हो सकती है.
६. वातानुकूलित डब्बों में आम यात्री के लिए परदे की कोई उपयोगिता नहीं है. यह अपव्यय रोका जा सकता है.
७. वातानुकूलित डब्बों में टॉवल / नेप्किन नहीं दिया जाता, टिकिट निरीक्षक यात्री से इसकी पुष्टि करें तो यात्री यह सुविधा पा सकेंगे.
८. ऊपरी शायिका पर सो रहे बच्चों के गिरने की दुर्घटना रोकने के लिए खुले छोर पर जाली की रेलिंग हो जिसे चाहने पर शायिका के नीचे मोड़ा जा सके.
९. बाजू की बीच की शायिका तत्काल हटाई जाए. इस पर बैठना या सामान रख पाना संभव नहीं होता.
१०.कम वज़न के तथा दुमंजिले डब्बे बनायें जा सकते हैं जो दोगुने यात्रियों को ले जा सकेंगे.
११. वृद्धों, महिलाओं, अशक्तों तथा बच्चों को ऊपरी शायिका आवंटित होने पर चढ़ने हेतु सुविधाजनक सीढ़ी हो. आड़े गोल पाइपों के स्थान पर चौड़े चौकोर पाइप हो तथा उनकी संख्या बढ़ा दी जाए.
१२. खतरे की ज़ंजीर खिड़की के ऊपर हो ताकि खतरे के समय कम ऊँचाई के यात्री भी खींच सकें.
१३. डब्बे अग्निरोधी हलके पदार्थ के हों.
१४. यात्रियों का अनुमति से अधिक सामान लगेज वान में रखकर तुरंत पावती देने तथा उअतारते समय पावती दिखानेपर सामान देने की व्यवस्था हो तो डब्बों में सामान की भरमार न होगी, यात्रा सुविधाजनक होगी.
१५.प्रतीक्षालय तथा विश्राम कक्षों में अधिकाधिक शायिकाएं हों. पुराने बड़े सभागारनुमा कक्षा में १-२ शायिका रखने का चलन बंद हो.
१६. रेलगाड़ियों के शौचालयों के नीचे ऐसी व्यवस्था हो की स्टेशन पर मल-मूत्र नीचे न गिरे तथा रेल रवाना होने के बाद बस्ती के बाहर निर्धारित स्थान पर चालक लीवर खींचकर मल-मूत्र नीचे गिरा सके.
१७. कचरा फेंकने का स्थान कम पड़ता है. वातानुकूलित डब्बों में वाश बेसिन के नीचे कचरे के डब्बे का आकार बढ़ाया जाए.
१८. खड़े होकर यात्रा कर रहे यात्रियों के लिए सामान्य तथा थ्री टायर डब्बों में मेट्रोट्रेन की तरह आड़े पाइप लगाकर पकड़ने के लिए लूप हों.
१९. अशक्त जनों के लिए विशेष डब्बे में शायिका संख्या बढ़ाई जाए तथा एक अशक्त के साथ एक सहायक के बैठने हेतु व्यवस्था हो.
२०. अशक्तजनों हेतु शौचालय का आकर बड़ा रखने के स्थान पर जगह-जगह पकड़ने तथा टिककर सहारा लेने के लिये उपकरण हों.
२१. सूचना पटल पर तथा उद्घोषणाओं में हिंदी, स्थानीय भाषा हो. आवश्यक प्रतीत होने पर अंत में अंग्रेजी का प्रयोग हो.
Sanjiv verma 'Salil', 94251 83244
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.in
facebook: sahiyta salila / sanjiv verma 'salil'
१. डब्बों की सभी श्रेणियों तथा स्टेशनों पर शौचालयों के निर्माण में पुरुष / स्त्री, सामान्य /अशक्त-वृद्ध जनों / बच्चों का ध्यान रखकर संख्या तथा उपादान लगाये जाना चाहिए.
२. शौच की प्राकृतिक अनिवार्यता के मद्देनज़र यह सुविधा निशुल्क हो ताकि किसी की जेब में मुद्रा न होने पर भी उसे सार्वजनिक स्थल पर मल-मूत्र त्याग न करना पड़े.
३. रेलगाड़ी में वाश बेसिन बच्चों की कम ऊँचाई के अनुकूल नहीं हैं.
४. अस्थि रोग ग्रस्त यात्रियों को बढ़ती संख्या को देखते हुए हर डब्बे में दोनों छोर पर एक-एक कमोड (पश्चिमी शैली) युक्त शौचालय हो.
५. लंबी दूरी की रेलगाड़ियों में शावर हो तो स्नान की सुविधा हो सकती है.
६. वातानुकूलित डब्बों में आम यात्री के लिए परदे की कोई उपयोगिता नहीं है. यह अपव्यय रोका जा सकता है.
७. वातानुकूलित डब्बों में टॉवल / नेप्किन नहीं दिया जाता, टिकिट निरीक्षक यात्री से इसकी पुष्टि करें तो यात्री यह सुविधा पा सकेंगे.
८. ऊपरी शायिका पर सो रहे बच्चों के गिरने की दुर्घटना रोकने के लिए खुले छोर पर जाली की रेलिंग हो जिसे चाहने पर शायिका के नीचे मोड़ा जा सके.
९. बाजू की बीच की शायिका तत्काल हटाई जाए. इस पर बैठना या सामान रख पाना संभव नहीं होता.
१०.कम वज़न के तथा दुमंजिले डब्बे बनायें जा सकते हैं जो दोगुने यात्रियों को ले जा सकेंगे.
११. वृद्धों, महिलाओं, अशक्तों तथा बच्चों को ऊपरी शायिका आवंटित होने पर चढ़ने हेतु सुविधाजनक सीढ़ी हो. आड़े गोल पाइपों के स्थान पर चौड़े चौकोर पाइप हो तथा उनकी संख्या बढ़ा दी जाए.
१२. खतरे की ज़ंजीर खिड़की के ऊपर हो ताकि खतरे के समय कम ऊँचाई के यात्री भी खींच सकें.
१३. डब्बे अग्निरोधी हलके पदार्थ के हों.
१४. यात्रियों का अनुमति से अधिक सामान लगेज वान में रखकर तुरंत पावती देने तथा उअतारते समय पावती दिखानेपर सामान देने की व्यवस्था हो तो डब्बों में सामान की भरमार न होगी, यात्रा सुविधाजनक होगी.
१५.प्रतीक्षालय तथा विश्राम कक्षों में अधिकाधिक शायिकाएं हों. पुराने बड़े सभागारनुमा कक्षा में १-२ शायिका रखने का चलन बंद हो.
१६. रेलगाड़ियों के शौचालयों के नीचे ऐसी व्यवस्था हो की स्टेशन पर मल-मूत्र नीचे न गिरे तथा रेल रवाना होने के बाद बस्ती के बाहर निर्धारित स्थान पर चालक लीवर खींचकर मल-मूत्र नीचे गिरा सके.
१७. कचरा फेंकने का स्थान कम पड़ता है. वातानुकूलित डब्बों में वाश बेसिन के नीचे कचरे के डब्बे का आकार बढ़ाया जाए.
१८. खड़े होकर यात्रा कर रहे यात्रियों के लिए सामान्य तथा थ्री टायर डब्बों में मेट्रोट्रेन की तरह आड़े पाइप लगाकर पकड़ने के लिए लूप हों.
१९. अशक्त जनों के लिए विशेष डब्बे में शायिका संख्या बढ़ाई जाए तथा एक अशक्त के साथ एक सहायक के बैठने हेतु व्यवस्था हो.
२०. अशक्तजनों हेतु शौचालय का आकर बड़ा रखने के स्थान पर जगह-जगह पकड़ने तथा टिककर सहारा लेने के लिये उपकरण हों.
२१. सूचना पटल पर तथा उद्घोषणाओं में हिंदी, स्थानीय भाषा हो. आवश्यक प्रतीत होने पर अंत में अंग्रेजी का प्रयोग हो.
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