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सोमवार, 26 फ़रवरी 2024

समीक्षा,मधुर कुलश्रेष्ठ,हिंदी सॉनेट सलिला

पुस्तक समीक्षा
'हिंदी सॉनेट सलिला' काव्य नर्मदा निर्मला
- मधुर कुलश्रेष्ठ
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                    विश्ववाणी हिंदी विश्व के सभी देशों और भाषाओं की काव्य धाराओं को आत्मसात के अपने संस्कार में ढालकार दिनों-दिन संपन्न व समृद्ध हो रही है। इस दिशा में संस्कारधानी के आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' का अवदान महत्वपूर्ण है। इन्होंने जापान, इंग्लैंड तथा इटली के छंदों का अध्ययन कर उनके मानक तथा हिंदी पिंगल-नियमों का गंगो-जमुनी सृजन सरिता प्रवहित की है। हिंदी सोनेट सलिला इस दिशा में अभिनव सार्थक प्रयास है। सॉनेट जैसे विदेशी छंद को हिंदी में अपनाना, सिखाना और अल्प समयावधि में समान गुणधर्म वाले स्तरीय इंग्लिश सॉनेट (शेक्सपीरियन सॉनेट) लिखवाकर अल्प समय में साझा संग्रह प्रकाशित कराने का विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर व आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' जी का प्रयास न केवल सराहनीय है बल्कि स्वयं तीन विश्व रिकॉर्ड धारी ग्रंथ है। यह हिंदी भाषा में प्रथम साझा सॉनेट संकलन है। यह प्रथम सॉनेट संकलन है जिसमें ३६ सॉनेटकार सहभागी हैं। यह प्रथम संकलन है जिसमें एक साथ ३२१ सॉनेट प्रकाशित हैं। इतना विशाल सॉनेट संकलन इंग्लैंड में भी नहीं छपा। 

                    प्रोफेसर अनिल जैन ने अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष होते हुए भी उर्दू भाषा की तहजीब और मिठास से परिपूर्ण प्रस्तावना में सॉनेट के इतिहास, उद्भव, विकास और प्रकार पर प्रकाश डालकर संग्रह की उत्कृष्टता की ओर इंगित कर दिया है।

                    आचार्य जी द्वारा विद्वतापूर्ण पुरोवाक् में विश्वववानी हिंदी संस्थान, हिंदी छंद परंपरा, सॉनेट के प्रकार, विधान, विश्व में सॉनेट लेखन का इतिहास तथा सॉनेट के हिंदीकरण पर विस्तारपूर्वक चर्चा की है जिससे नव रचनाकारों को सॉनेट लिखने हेतु प्रेरणा व मार्गदर्शन मिल सके।

                  हिंदी रचनाकारों के लिए विधा नई है लेकिन सभी 32 रचनाकारों की सीखने की जिजीविषा भी उल्लेखनीय है। ये अदम्य जिजीविषा ही किसी भी क्षेत्र में सृजन का मार्ग प्रशस्त करती है। पावन सलिला माँ नर्मदा के पावन प्रवाह की तरह हिंदी सॉनेट सलिला के सॉनेटों में प्रत्येक रचनाकार ने नवोन्मेष, परिश्रम, लगन तथा प्रयास से नव रस सलिला प्रवाहित कर दी है।

                    मन में उमड़ते-घुमड़ते विचारों के आवारा बादलों के प्रवाह को अनुशासन और लयबद्ध कर रचना में निर्झर झरने की कल-कल जैसी सुमधुर ध्वनि और माधुर्य पैदा करना छंद की विशेषता होती है। वह छंदबद्ध रचना दोहा, मुक्तक, कुंडलियाँ, गीत, ग़ज़ल या सॉनेट हो सकती है। यह कवि का अपना-अपना काव्य कौशल होता है कि वह अपने तराने को पाठकों के मन में गहराई तक उतारने में कितना सफल हो सकता है। सभी 32 सॉनेटकारों ने अपने अपने कौशल, वृहद् शाब्दिक कोष तथा छांदिक अनुशासन से अपने-अपने सॉनेटों में जीवन के अनेक बिंबों को जीवंत कर दिया है। श्रम का जीवन में बहुत महत्व है लेकिन श्रमिक वर्ग की बदहाली से रचनाकार व्यथित होकर लिखते हैं -

"कपड़ा और मकान रहा सपना ही सपना,
छप्पर पन्नी ढाँकबचें बारिश पानी से।"

                    भारतीय दर्शन में "सर्वे भवन्तु सुखिन:", "विश्व बंधुत्व" तथा "अतिथि देवो भव" की भावना निहित है उसी का अनुपालन करते हुए रचनाकारों ने सॉनेट को भी भरपूर प्यार दुलार देकर देशज विषयों में आत्मसात कर हिंदी सॉनेट को नव रूप दिया है।

"क्रिया सृष्टि की वह सपूजित सनातन।
रखे बाँध संसार में प्रेम बंधन।।"

                    बेटी परिवार की चहेती होती है, बेटियाँ भी किसी से कम नहीं हैं, इसलिए रचनाकारों ने बेटियों को भी अपने सॉनेटों के माध्यम से प्यार दुलार दिया है-

"बेटी भारत वर्ष की शान।
हम सब जनों की वह है आन।।"

                    विदेशी सॉनेटकारों ने सॉनेट में प्रेम को प्रमुखता दी है वहीं भारतीय रचनाकारों का प्रमुख विषय प्रकृति, नदी, पहाड़, तीज त्यौहार, बारह मास, अध्यात्म आदि हैं। भारत की सभी छह ॠतुओं का अपना-अपना आकर्षण और महत्व है। इन ॠतुओं में जीवन के अनेक रूपों के दर्शन होते हैं। इसीलिए भारतीय रचनाकारों का सर्वाधिक प्रिय विषय मौसम यथा फागुन, बरसात, गर्मी, सर्दी रहता है। संग्रह के अधिकांश सॉनेटकारों ने अपने सॉनेटों में ॠतुओं के इन्हीं उल्लास तथा रसमय फुहारों को रचकर पाठकों के हृदय को उल्लसित कर दिया है।

रास रचाने भँवरा आया, कलियों कलियों डोल रहा है,       
काला उसने सूट सिलाया, गुनगुन गुनगुन बोल रहा है।"

                    कोई भी रचनाकार अपनी रचनाओं में नवाचार करने के लिए उद्यत रहता है जिससे पुरानी लीक से हटकर कुछ नए प्रतिमान स्थापित होवें। संग्रह के सॉनेटकारों ने ज्यों प्राथमिक शाला से ही सॉनेट में नवाचार करने की ठान ली। जहाँ सॉनेट में 14 से 16 मात्राओं का मानक है वहीं कुछ सॉनेटकारों ने बहुत कम शब्दों एवं मात्राओं के सॉनेट लिखकर गागर में सागर भरने जैसा प्रयोग किया है -

"नेक कर्म,
कर बंदे,
सत्य धर्म,
तज फंदे।"

                    साहित्य समाज का दर्पण होता है। समाज में जो कुछ घटित हो रहा है उस पर रचनाकारों की कलम चलना स्वाभाविक है। इसीलिए संग्रह में चंद्रयान की सफलता की कामना भी की गई है -

"चाँद की धरती को चूमने,
उड़ चला है चंद्रयान तीन,
राष्ट्र की जय जयकार गुणने,
होगा सार्थक अभियान तीन।"

                    रचनाकारों का प्रिय विषय इतिहास भी रहा है। जहाँ इतिहास हमें तात्कालिक शासन, समाज, परंपरा, शौर्य व वैभव से परिचय कराता है वहीं उस काल के शूरवीरों का भी स्मरण कराता है। ऐसे ऐतिहासिक पात्रों को सॉनेटकार कैसे विस्मृत कर सकते हैं। ओरछा के नरेश इंद्रजीत, विदुषी सुंदरी राय प्रवीण तथा कवि केशव पर सॉनेट लिखकर संग्रह को अतुलनीय बना दिया है।

                    सम सामयिक राजनैतिक विसंगतियों पर शब्दाघात 'बादल; शीर्षक सॉनेट में दृष्टव्य है-

अंबर में संसद बादल की, 
हर बादल गरज गरज बोले, 
चिंता न किसी को छागल की,
रोके न रुके जो मुँह खोले।  
यह बादल मन की बात करे, 
जुमलेबाजी वह करता है, 
उह अंधभक्ति को शीश धरे, 
ले-दे सरकार पलटता है।  

                राष्ट्र है तो संस्कृति है, संस्कृति है तो साहित्य है, साहित्य है तो समाज है और समाज है तो हम हैं। अतः राष्ट्रधर्म ही सर्वोपरि है इसलिए हमें इसकी आन-बान-शान पर गर्व है -

"राष्ट्रोत्सव की शान है तिरंगा,
भारत का अभिमान है तिरंगा।"

                   सॉनेट को प्रेम के एकाकी रंग से निकालकर जीवन के विविध रंगों से महकती, पल्लवित होती बगिया जैसा संग्रह "हिंदी सॉनेट सलिला" पाठकों, शोधार्थियों को बहुत पसंद आएगा। आचार्य जी व 32 सॉनेटकारों की पूरी टीम की कड़ी मेहनत का प्रतिफल है सहज, सुबोध, पठनीय तथा संग्रहणीय है "हिंदी सॉनेट सलिला।" संकलन प्राप्ति हेतु विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान, जबलपुर के कार्यालय में चलभाष 9425183244 पर संपर्क किया जा सकता है। 
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हिंदी सॉनेट सलिला
(हिंदी सॉनेट का प्रथम साझा संकलन)
संपादक -आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
प्रस्तुति - विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान ,जबलपुर 
प्रकाशक - श्वेतवर्णा प्रकाशन नई दिल्ली
प्रथम संस्करण -2023
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