स्मरण युग तुलसी राम किंकर उपाध्याय
३.३.२०२४
संचालक- सरला वर्मा, भोपाल, सरस्वती वंदना/राम भजन- विभा तिवारी।
वक्ता - कृष्ण कान्त चतुर्वेदी, डॉ. योगेंद्र तिवारी, इंदिरा गुप्ता- संस्मरण।
संत अनगिनत हुए पर, किंकर सबसे भिन्न।
सिया-राम हनुमान प्रिय, शिव से रहे अभिन्न।।
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मंगलप्रद शारद शिवा, शिव गणपति हनुमान।
निर्गुण हरि होता सगुण, राम-श्याम गुणवान॥
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भक्ति करें भगवान की, मंगलप्रद अनुकूल।
बिन माँगे सब कुछ मिले, माँगें माँग न शूल।।
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श्री मुख में हनुमत बसे, किंकर जी हैं यंत्र।
राम भक्ति निष्काम कर, यही साधना मंत्र।।
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किंकर जी का चित्र रख, करिए पूजन नित्य।
सियाराम-हनुमत प्रभु, प्रगटें यह है सत्य।।
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राम कथा अनुपम कही, दृष्टि नवीन
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२५.२.२०२४
संचालक- सरला वर्मा, भोपाल, शुभाशीष- पूज्य मंदाकिनी दीदी अयोध्या
वक्ता - डॉ. शिप्रा सेन, डॉ. दीपमाला, डॉ. मोनिका वर्मा, पवन सेठी.
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मिलते हैं जगदीश यदि, मन में हो विश्वास
सिया-राम-जय गुंजाती, जीवन की हर श्वास
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जहाँ विनय विवेक रहे, रहें सदय हनुमान
राम-राम किंकर तहाँ, वर दें; कर गुणगान
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आस लखन शत्रुघ्न फल, भरत विनम्र प्रयास
पूर्ण समर्पण पवनसुत, दशकंधर संत्रास
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सिया-राम-जय गुंजाती, जीवन की हर श्वास
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जहाँ विनय विवेक रहे, रहें सदय हनुमान
राम-राम किंकर तहाँ, वर दें; कर गुणगान
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आस लखन शत्रुघ्न फल, भरत विनम्र प्रयास
पूर्ण समर्पण पवनसुत, दशकंधर संत्रास
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प्रगटे तुलसी दास ही, करने भक्ति प्रसार
कहे राम किंकर जगत, राम नाम ही सार
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राम भक्ति मंदाकिनी, जो करता जल-पान
भव सागर से पार हो, महामूढ़ मतिवान
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शिप्रा भक्ति प्रवाह में, जो सकता अवगाह
भव बाधा से मुक्त हो, मिलता पुण्य अथाह
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सिया-राम जप नित्य प्रति, दें दर्शन हनुमान
पाप विमोचन हो तुरत, राम नाम विज्ञान
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भक्ति दीप माला करे, मोह तिमिर का अंत
भजे राम-हनुमान नित, माँ हो जा रे संत
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मौन मोनिका ध्यान में, प्रभु छवि देखे मग्न
सिया-राम गुणगान में, मन रह सदा निमग्न
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अग्नि राम का नाम है, लखन गगन -विस्तार
भरत धरा शत्रुघ्न नभ, हनुमत सलिल अपार
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'शिव नायक' श्रद्धा अडिग, 'धनेसरा' विश्वास
भक्ति 'राम किंकर' हरें, मानव मन का त्रास
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मिले अखंडानंद भज, सत्-चित्-आनंद नित्य
पा-दे परमानंद हँस, सिया-राम ही सत्य
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