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महल खंडहर हो रहे, देख रहे सब मौन
चाह न महलों की करें, ऐसे कितने? कौन?
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चाह करी शिवराज की, मिला हाय! शवराज
चिड़ियों के रक्षक बने, खूनी शाही बाज
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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