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गुरुवार, 21 मई 2020

मुक्तिका

मुक्तिका
संजीव
*
मखमली-मखमली
संदली-संदली
.
भोर- ऊषा-किरण
मनचली-मनचली
.
दोपहर है जवाँ
खिल गयी नव कली
.
साँझ सुन्दर सजी
साँवली-साँवली
.
चाँद-तारें चले
चन्द्रिका की गली
.
रात रानी न हो
बावली-बावली
.
राह रोके खड़ा
दुष्ट बादल छली
***

२१-५-२०१६
(दस मात्रिक दैशिक छन्द
रुक्न- फाइलुन फाइलुन)

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