चित्र काव्य
पताका अलंकार
१.
है
काष्ठ
में जान।
मत काटो
दे देगी शाप।
होगा कुल नाश।
हो या न हो विश्वास।
है
काष्ठ
में जान।
मत काटो
दे देगी शाप।
होगा कुल नाश।
हो या न हो विश्वास।
जीवन हो साफ़ सुथरा
हरी-भरो रखो वसुंधरा।
****
****
२.
आ
पौधे
लगाएँ।
मरु में भी
वन उगाएँ।
अंत समय में
आ
पौधे
लगाएँ।
मरु में भी
वन उगाएँ।
अंत समय में
पंचलकड़ियाँ दें
सभी सगे संबंधी
संवेदना तो जटाएँ।
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३.
हैं
वन
न शेष।
श्याम कैसे
बनाए बंसी ?
वन
न शेष।
श्याम कैसे
बनाए बंसी ?
रूठी हुई राधा
थकी थाम मटकी।
थकी थाम मटकी।
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४.
न
बाँस
न धनु।
हैरान हैं
वन में राम।
कैसे करें युद्ध?
कैसे चलाएँ बाण ।
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न
बाँस
न धनु।
हैरान हैं
वन में राम।
कैसे करें युद्ध?
कैसे चलाएँ बाण ।
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५.
है
लाठी
सहारा
बुढ़ापे का।
न सकें छीन
पूत, हो कपूत
मिल बाँस उगाएँ ।
***
है
लाठी
सहारा
बुढ़ापे का।
न सकें छीन
पूत, हो कपूत
मिल बाँस उगाएँ ।
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