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बुधवार, 5 अप्रैल 2017

shri ram-raksha stotra (hindi kavyanuwad sahit)

॥ श्रीरामरक्षास्तोत्र ॥
(हिंदी काव्यानुवाद तथा रोमन लिपि में मूल पाठ सहित)
॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥

अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमंत्रस्य । बुधकौशिक ऋषिः ।
श्रीसीतारामचंद्रो देवता । अनुष्टुप् छंदः ।।
सीता शक्तिः । श्रीमद् हनुमान कीलकम् ।
श्रीरामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः ॥

॥ अथ ध्यानम् ॥

ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थम् ।
पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम् ।।
वामांकारूढ सीतामुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभम् ।
नानालंकारदीप्तं दधतमुरुजटामंडनं रामचंद्रम् ॥

॥ इति ध्यानम् ॥

चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥ १॥

ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमंडितम् ॥ २॥

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम् ।
स्वलीलया जगत्रातुं आविर्भूतं अजं विभुम् ॥ ३॥

रामरक्षां पठेत्प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।
शिरोमे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः ॥ ४॥

कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रियश्रुती ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ॥ ५॥

जिव्हां विद्यानिधिः पातु कंठं भरतवंदितः ।
स्कंधौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ॥ ६॥

करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित् ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः ॥ ७॥

सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः ।
ऊरू रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृत् ॥ ८॥

जानुनी सेतुकृत्पातु जंघे दशमुखान्तकः ।
पादौ बिभीषणश्रीदः पातु रामोखिलं वपुः ॥ ९॥

एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत् ।
स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥ १०॥

पातालभूतलव्योमचारिणश्छद्मचारिणः ।
न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः ॥ ११॥

रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन् ।
नरो न लिप्यते पापैः भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥ १२॥

जगजैत्रैकमंत्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् ।
यः कंठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ॥ १३॥

वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत् ।
अव्याहताज्ञः सर्वत्र लभते जयमंगलम् ॥ १४॥

आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षांमिमां हरः ।
तथा लिखितवान् प्रातः प्रभुद्धो बुधकौशिकः ॥ १५॥

आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम् ।
अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान् स नः प्रभुः ॥ १६॥

तरुणौ रूपसंपन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुंडरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥ १७॥

फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥ १८॥

शरण्यौ सर्वसत्त्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।
रक्षः कुलनिहंतारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥ १९॥

आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशावक्षयाशुगनिषंगसंगिनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम् ॥ २०॥

सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन्मनोरथोस्माकं रामः पातु सलक्ष्मणः ॥ २१॥

रामो दाशरथिः शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघुत्तमः ॥ २२॥

वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः ।
जानकीवल्लभः श्रीमान् अप्रमेय पराक्रमः ॥ २३॥

इत्येतानि जपन्नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः ।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं संप्राप्नोति न संशयः ॥ २४॥

रामं दूर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम् ।
स्तुवंति नामभिर्दिव्यैः न ते संसारिणो नरः ॥ २५॥

रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुंदरम् ।
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम् ।।

राजेंद्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शांतमूर्तिम् ।
वंदे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम् ॥ २६॥

रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ॥ २७॥

श्रीराम राम रघुनंदन राम राम ।
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम ।
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥ २८॥

श्रीरामचंद्रचरणौ मनसा स्मरामि ।
श्रीरामचंद्रचरणौ वचसा गृणामि ॥
श्रीरामचंद्रचरणौ शिरसा नमामि ।
श्रीरामचंद्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥ २९॥

माता रामो मत्पिता रामचंद्रः ।
स्वामी रामो मत्सखा रामचंद्रः ॥
सर्वस्वं मे रामचंद्रो दयालुः ।
नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥ ३०॥

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे तु जनकात्मजा ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वंदे रघुनंदनम् ॥ ३१॥

लोकाभिरामं रणरंगधीरम् । राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम् ॥
कारुण्यरूपं करुणाकरं तम् । श्रीरामचंद्रम् शरणं प्रपद्ये ॥ ३२॥

मनोजवं मारुततुल्यवेगम् ।
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यम् ।
श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥ ३३॥

कूजंतं राम रामेति मधुरं मधुराक्षरम् ।
आरुह्य कविताशाखां वंदे वाल्मीकिकोकिलम् ॥ ३४॥

आपदां अपहर्तारं दातारं सर्वसंपदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥ ३५॥

भर्जनं भवबीजानां अर्जनं सुखसम्पदाम् ।
तर्जनं यमदूतानां राम रामेति गर्जनम् ॥ ३६॥

रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे ।
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः ॥
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोस्म्यहम् ।
रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥ ३७॥

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥ ३८॥

इति श्रीबुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं संपूर्णम् ॥

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श्री राम रक्षा स्तोत्र
विनियोग

श्री गणेश-विघ्नेश्वर, रिद्धि-सिद्धि के नाथ .
चित्र गुप्त लख चित्त में, नमन करुँ नत माथ.
ऋषि बुधकौशिक रचित यह, रामरक्षास्तोत्र.
दोहा रच गाये सलिल, कायथ कश्यप गोत्र.
कीलक हनुमत, शक्ति सिय, देव सिया-श्री राम.
जाप और विनियोग यह, स्वीकारें अभिराम.
ध्यान आरम्भ
दीर्घबाहु पद्मासनी, हों धनु-धारि प्रसन्न.
कमलाक्षी पीताम्बरी, है यह भक्त प्रपन्न.
नलिननयन वामा सिया, अद्भुत रूप-सिंगार.
जटाधरी नीलाभ प्रभु, ध्याऊँ हो बलिहार.
श्री गणेश-विघ्नेश्वर, रिद्धि-सिद्धि के नाथ .
चित्र गुप्त लख चित्त में, नमन करुँ नत माथ.
ऋषि बुधकौशिक रचित यह, रामरक्षास्तोत्र.
दोहा रच गाये सलिल, कायथ कश्यप गोत्र.
कीलक हनुमत, शक्ति सिय, देव सिया-श्री राम.
जाप और विनियोग यह, स्वीकारें अभिराम.

ध्यान पूर्ण
दीर्घबाहु पद्मासनी, हों धनु-धारि प्रसन्न.
कमलाक्षी पीताम्बरी, है यह भक्त प्रपन्न.
नलिननयन वामा सिया, अद्भुत रूप-सिंगार.
जटाधरी नीलाभ प्रभु, ध्याऊँ हो बलिहार.

श्री रघुनाथ-चरित्र का, कोटि-कोटि विस्तार.
एक-एक अक्षर हरे, पातक- हो उद्धार. १.

नीलाम्बुज सम श्याम छवि, पुलिनचक्षु का ध्यान.
करुँ जानकी-लखन सह, जटाधारी का गान.२

खड्ग बाण तूणीर धनु, ले दानव संहार.
करने भू-प्रगटे प्रभु, निज लीला विस्तार. ३

स्तोत्र-पाठ ले पाप हर, करे कामना पूर्ण.
राघव-दशरथसुत रखें, शीश-भाल सम्पूर्ण. ४

कौशल्या-सुत नयन रखें, विश्वामित्र-प्रिय कान.
मख-रक्षक नासा लखें, आनन् लखन-निधान. ५

विद्या-निधि रक्षे जिव्हा, कंठ भरत-अग्रज.
स्कंध रखें दिव्यायुधी, शिव-धनु-भंजक भुज. ६

कर रक्षे सीतेश-प्रभु, परशुराम-जयी उर,
जामवंत-पति नाभि को, खर-विध्वंसी उदर. ७

अस्थि-संधि हनुमत प्रभु, कटि- सुग्रीव-सुनाथ.
दनुजान्तक रक्षे उरू, राघव करुणा-नाथ. ८

दशमुख-हन्ता जांघ को, घुटना पुल-रचनेश.
विभीषण-श्री-दाता पद, तन रक्षे अवधेश. ९

राम-भक्ति संपन्न यह, स्तोत्र पढ़े जो नित्य.
आयु, पुत्र, सुख, जय, विनय, पाए खुशी अनित्य.१०

वसुधा नभ पाताल में, विचरें छलिया मूर्त.
राम-नाम-बलवान को, छल न सकें वे धूर्त. ११
रामचंद्र, रामभद्र, राम-राम जप राम.
पाप-मुक्त हो, भोग सुख, गहे मुक्ति-प्रभु-धाम. १२

रामनाम रक्षित कवच, विजय-प्रदाता यंत्र.
सर्व सिद्धियाँ हाथ में, है मुखाग्र यदि मन्त्र.१३

पविपंजर पवन कवच, जो कर लेता याद.
आज्ञा उसकी हो अटल, शुभ-जय मिले प्रसाद.१४

शिवादेश पा स्वप्न में, रच राम-रक्षा स्तोत्र.
बुधकौशिक ऋषि ने रचा, बालारुण को न्योत. १५

कल्प वृक्ष, श्री राम हैं, विपद-विनाशक राम.
सुन्दरतम त्रैलोक्य में, कृपासिंधु बलधाम. १६
रूपवान, सुकुमार, युव, महाबली सीतेंद्र.
मृगछाला धारण किये, जलजनयन सलिलेंद्र. १७.

राम-लखन, दशरथ-तनय, भ्राता बल-आगार.
शाकाहारी, तपस्वी, ब्रम्हचर्य-श्रृंगार. १८

सकल श्रृष्टि को दें शरण, श्रेष्ठ धनुर्धर राम.
उत्तम रघु रक्षा करें, दैत्यान्तक श्री राम. १९

धनुष-बाण सोहे सदा, अक्षय शर-तूणीर.
मार्ग दिखा रक्षा करें, रामानुज-रघुवीर. २०
राम-लक्ष्मण हों सदय, करें मनोरथ पूर्ण.
खड्ग, कवच, शर,, चाप लें, अरि-दल के दें चूर्ण. २१

रामानुज-अनुचर बली, राम दाशरथ वीर.
काकुत्स्थ कोसल-कुँवर, उत्तम रघु, मतिधीर. २२

सीता-वल्लभ श्रीवान, पुरुषोतम, सर्वेश.
अतुलनीय पराक्रमी, वेद-वैद्य यज्ञेश. २३

प्रभु-नामों का जप करे, नित श्रद्धा के साथ.
अश्वमेघ मख-फल मिले, उसको दोनों हाथ.२४
पद्मनयन, पीताम्बरी, दूर्वा-दलवत श्याम.
नाम सुमिर ले 'सलिल' नित, हो भव-पार सुधाम. २५

गुणसागर, सौमित्राग्रज, भूसुतेश श्रीराम.
दयासिन्धु काकुत्स्थ हैं, भूसुर-प्रिय निष्काम. २६ क

अवधराज-सुत, शांति-प्रिय, सत्य-सिन्धु बल-धाम.
दशमुख-रिपु, रघुकुल-तिलक, जनप्रिय राघव राम. २६ख

रामचंद्र, रामभद्र, रम्य रमापति राम.
रघुवंशज कैकेई-सुत, सिय-प्रिय अगिन प्रणाम. २७

रघुकुलनंदन राम प्रभु, भरताग्रज श्री राम.
समर-जयी, रण-दक्ष दें, चरण-शरण श्री धाम.२८

मन कर प्रभु-पद स्मरण, वाचा ले प्रभु-नाम.
शीश विनत पद-पद्म में, चरण-शरण दें राम.२९

मात-पिता श्री राम हैं, सखा-सुस्वामी राम.
रामचंद्र सर्वस्व मम, अन्य न जानूं नाम. ३०
लखन सुशोभित दाहिने, जनकनंदिनी वाम.
सम्मुख हनुमत पवनसुत, शतवंदन श्री राम.३१

जन-मन-प्रिय, रघुवीर प्रभु, रघुकुलनायक राम.
नयनाम्बुज करुणा-समुद, करुनाकर श्री राम. ३२

मन सम चंचल पवनवत, वेगवान-गतिमान.
इन्द्रियजित कपिश्रेष्ठ दें, चरण-शरण हनुमान. ३३

काव्य-शास्त्र आसीन हो, कूज रहे प्रभु-नाम.
वाल्मीकि-पिक शत नमन, जपें प्राण-मन राम. ३४

हरते हर आपद-विपद, दें सम्पति, सुख-धाम.
जन-मन-रंजक राम प्रभु, हे अभिराम प्रणाम. ३५
राम-नाम-जप गर्जना, दे सुख-सम्पति मीत.
हों विनष्ट भव-बीज सब, कालदूत भयभीत. ३६

दैत्य-विनाशक, राजमणि, वंदन राम रमेश.
जयदाता शत्रुघ्नप्रिय, करिए जयी हमेश. ३७ क

श्रेष्ठ न आश्रय राम से, 'सलिल' राम का दास.
राम-चरण-मन मग्न हो, भव-तारण की आस. ३७ ख

विष्णुसहस्त्रनाम सम, पावन है प्रभु-नाम
रमे राम के नाम में, सलिल-साधना राम. ३८

मुनि बुधकौशिक ने रचा, श्री रामरक्षास्तोत्र..
सिया-राम-चरणार्पित, भव-भक्तिमय ज्योत.
'शांति-राज'-हित यंत्र है, श्री रामरक्षास्तोत्र.३९

आशा होती पूर्ण हर, प्रभु हों सत्य सहाय.
तुहिन श्वास हो नर्मदा, मन्वंतर गुण गाय.. ४०

राम-कथा मंदाकिनी, रामकृपा राजीव.
राम-नाम जप दे दरश, राघव करुणासींव. ४१
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Shri Ram Raksha Stotram

II RAM II
RAM RAKSHA STOTRAM

Viniyoga

Aasya Shriramrakshastrotamantrasya budhkaushik hrishi |
ShriSitaramcandro devta anushtup Chanda: Sita shakti |
Shriman hanuman keelkam ShriRamcandapreetyeRthe |
Ramrakshastotrajape vinyOgah ||

Dhyaanam

Dhyaaedaajaanu baahum dhyaanam dhrit shar dhanusham badhhpadmaasanastham |
Peetam vaaso vasaanam navkamaldalspardhinetram prasannam |
Vamaankaarooddh sita mukhkamal milallochanam neerdaabham |
Naanaalankaar deeptam dadhat murujataamandalam Ramchandram ||

Stotram

Charitam Raghunaathasya shut koti pravistaram |
Ekaikam aksharam punsaam mahaa paatak naashanam |1|

Dhyaatvaa nilotpal shyaamam Ramam rajeev lochanam |
Jaanaki lakshmanopetam jataa mukut manditam |2|

Saasitoor dhanurbaan paanim naktam charaantakam |
Swalilayaa jagat traatumaavirbhuntam ajam vibhum |3|

Ram rakshaam patthet praagyaha paapaghaneem sarv kaamdam |
Shiro may Raaghavah paatu bhaalam Dasharathaatmjah |4|

Kausalyeyo Drishau Paatu Vishvaamitra priyah shrutee |
Ghraanam paatu makha traataa mukham saumitrivatsala |5|

Jihvaam vidyaa nidhih paatu kanttham bharat vanditah |
Skandhau divyaayudhah paatu bhujau bhagnesh kaarmukah |6|

Karau seetapatih paatu hridayam jaamadagnyajit |
Madhyam paatu khara dhwansi naabhim jaambvadaashrayah |7|

Sugriveshah katee paatu sakthini hanumat prabhuh |
Uru Raghoot tamah paatu rakshakul vinaashkrit |8|

Jaahnuni Setukrit Paatu janghey dasha mukhaantakah |
Paadau vibhishan shreedah paatu Ramokhilam vapuh |9|

Etaam Ram balopetaam rakshaam yah sukriti patthet |
Sa chiraayuh sukheeputri vijayi vinayi bhavet |10|

Paataal bhutalavyom chaari nash chadmchaarinah |
Na drashtumapi shaktaaste rakshitam ramnaambhih |11|

Rameti Rambhadreti Ramchandreti vaa smaran |
Naro na lipyate paapeir bhuktim muktim chavindati |12|

Jagat jaitreik mantrein Ram naam naabhi rakshitam |
Yah kantthe dhaareytasya karasthaah sarv siddhyah |13|

Vajra panjar naamedam yo Ramkavacham smaret |
Avyaa hataagyah sarvatra labhate jai mangalam |14|

Aadisht vaan yathaa swapne Ram rakshaimaam harah |
Tathaa likhit vaan praatah prabu dho budh kaushikah |15|

Aaraamah kalpa vrikshaanam viraamah sakalaapadaam |
Abhiraam strilokaanam Ramahi Shrimaansah nah prabhuh| 16|

Tarunau roop sampannau sukumaarau mahaa balau |
Pundreek vishaalaakshau cheerkrishnaa jinaambarau |17|

Fala moolaa shinau daantau taapasau brahma chaarinau |
putrau dashrathasyetau bhraatarau Ram Lakshmanau |18|

Sharanyau sarv satvaanaam shreshtthau sarv dhanush mataam |
Rakshah kul nihantaarau traayetaam no raghuttamau |19|

Aattasajjadhanushaa vishusprishaa vakshyaashug nishang sanginau |
Rakshnaaya mum Ram lakshmanaa vagratah pathi sadaiv gachhtaam |20|

Sannadah kavachi khadagi chaap baan dharo yuvaa |
Gachhan manorathaa nashch Ramah paatu salakshmanah |21|

Ramo daashraltih shooro lakshmanaaru charo balee |
Kaakutsthah purushah purnah kausalyeyo raghuttmah |22|

Vedaant vedyo yagneshah puraan puru shottamah |
Jaanaki vallabhah shrimaan prameya paraakramah |23|

Ityetaani japan nityam madabhaktah shraddhyaan vitah |
Ashvamedhaadhikam punyam sampraapnoti na sanshayah |24|

Ramam doorvaadal shyaamam padmaaksham peet vaasasam |
Stuvanti naambhirdivyern te sansaarino naraah |25|

Ramam Lakshman poorvajam raghuvaram sitapatim sundaram |
Kaakutstham karunarnvam gunnidhim viprapriyam dhaarmikam |26|

Raajendram satyasandham Dashrath tanayam shyaamalam shaantmurtium
Vande Lokaabhiraamam Raghukultilakam Raghavam Raavanaarim |
Ramaay Rambhadraay Ramchandraay Vedhasey
Raghunaathaay naathaay sitayah paataye namah |27|

Shri Ram Ram Raghunandan Ram Ram
Shri Ram Ram Bharataagraj Ram Ram
Shri Ram Ram Runkarkash Ram Ram
Shri Ram Ram Sharanam bhav Ram Ram |28|

Shri Ram Chandra Charan
Shri Ram Chandra Charanau manasaa smaraami
Shri Ram Chandra Charanau vachasaa grinaami
Shri Ram Chandra Charanau Shirasaa namaami
Shri Ram Chandra Charanau Sharanam prapadye |29|

Maataa Ramo Matpitaa. Ram Chandrah
Swaami Ramo matsakhaa Ram Chandrah
Sarvasvam may Ram Chandra Dayaalur
Naanyam jaane naive jaane na jaane |30|

Dakshiney Lakshmano yasya vaame cha janakaatmajaa |
Purato marutir yasya tama vande Raghunandanam |31|

Lokaabhi Ramam rana rangdheeram
Rajeev netram Raghuvansh naatham
Kaarunya roopam karunaa karantam
Shri Ram Chandram Sharanam prapadye |32|

Manojavam maarut tulya vegam
Jitendriyam buddhi mataam varishttham
Vaataatmjam vaanar youth mukhyam
Shri Ram dootam Sharanam prapadye |33|

Koojantam Ram raameti madhuram madhuraaksharam |
Aaruhya Kavitaa Shakhaam vande Vaalmikilokilam |34|

Aapdaampahar taaram daataaram sarvsampdaam |
Lokaabhiramam Shri Ramam bhooyo bhooyo namaamya hum |35|

Bharjanam bhav beejaanaam arjanam sukh sampdaam |
Tarjanam yum dootaanaam Ram Rameti garjanam |36|

Ramo Rajmani sadaa vijayate Ramam Ramesham bhaje
Ramenaa bhihtaa nishaacharchamoo Ramaay tasmai namah|
Ramannaasti paraayanam partaram Ramasya daasosmyaham
Rame Chittalayah sadaa bhavtu me bho Ram maamudhhar |37|

Ram Rameti Rameti Ramey Rame manoramey |
Sahastra naam tatulyam Ram naam varaananey |38|

Eti Shree Ram Raksha Stotram

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