द्विपदी :
संजीव
*
लाये मुझे पिलाने पर खुद ही पी रहे हैं
बोतल दिखा के बोले 'बिन पिए जी रहे हैं.
*
बनाये हैं रेत के महल मैंने अब मुझे भूकंप का कुछ डर नहीं
कद्र जज्बातों की जग में हो न हो उड़ न जायेंगे कि उनके पर नहीं
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संजीव
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लाये मुझे पिलाने पर खुद ही पी रहे हैं
बोतल दिखा के बोले 'बिन पिए जी रहे हैं.
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बनाये हैं रेत के महल मैंने अब मुझे भूकंप का कुछ डर नहीं
कद्र जज्बातों की जग में हो न हो उड़ न जायेंगे कि उनके पर नहीं
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