मुक्तक मालवी
संजीव
जीवन नी सौगात नखत स्वाती लई आयो
सीप सलिल दुई मिला एक मोती झट जायो
हिवड़ा नाच्यो झूम कपासी बोंड़ी फूली
आसमान से तारा उतरि धरा पर आयो
संजीव
जीवन नी सौगात नखत स्वाती लई आयो
सीप सलिल दुई मिला एक मोती झट जायो
हिवड़ा नाच्यो झूम कपासी बोंड़ी फूली
आसमान से तारा उतरि धरा पर आयो
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